Wednesday, September 25, 2024

श्रीमद्भागवत पुराण में गंगा रहस्य भाग - 01


श्रीमद्भागवत पुराण आधारित गंगा रहस्य भाग - 01 

( भागवत स्कंध : 3.11, 8.1,12.4 , 9.9 + गीता 8.16 - 8.20 )

भागवत पुराण के आधार पर गंगा रहस्य में प्रवेश करने से पहले इस विषय से संबंधित कुछ ऐसे तथ्यों को स्पष्ट किया जा रहा हैं जिनको समझ लेने के बाद गंगा जी की अनंत से अनंत की यात्रा को सरलता से समझा जा सकेगा ।

🛕 ब्रह्मा का एक दिन कल्प कहलाता है जो 4.32 billion years का होता है । कल्प के अंत में नैमित्तिक प्रलय होती है जिसे श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक : 8.16 - 8.20 में निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है ….

सभीं लोक पुनरावर्ती हैं । पृथ्वी सहित पृथ्वी के ऊपर 07 लोक हैं , इनके संबंध में अंक - 3 में बताया जाएगा। 

सभीं जीव एवं सूचनाएं ब्रह्मा के दिन के प्रारंभ में ब्रह्म के सूक्ष्म शरीर के उत्पन्न होती हैं और रात्रि आगमन पर ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में इन सबका लय हो जाता है । पुनः जब ब्रह्मा का दिन निकलता है तब सभीं जीव एवं सूचनाएं पुनः पूर्ववत अपनें - अपनें स्वरूपों में प्रकट होते हैं । ब्रह्मा का एक दिन अर्थात एक कल्प 14 मनुओं का समय होता है । एक मनु का समय 0.308 million years का होता है ।

ब्रह्मा पुत्र मरीचि हैं और मरीचि पुत्र कश्यप ऋषि हैं । कश्यप पुत्र विवस्वान (सूर्य ) हैं और सूर्य के पुत्र 7 वे मनु श्राद्ध देव जी है जो वर्तमान के मनु हैं ।श्राद्ध देव जी के बड़े पुत्र इक्ष्वाकु हुए । इक्ष्वाकु पुत्र विकुक्षी बंश में सगर हुए जिनके 60,000 पुत्र गंगा सागर में कपिल मुनि द्वारा भस्म कर दिए गए थे । सगर की दूसरी पत्नी के वंश में  अंशुमान के पुत्र दलीप हुए जिनके पुत्र भगीरथ हुए । 

भस्म हुए परिवार जनों की आत्माओं की मुक्ति के लिए गंगा जी को लाने के लिए भगीरथके दादा अंशुमान एवं पिता दलीप दोनों घोर तप किए लेकिन सफल न हो सके । 

 भगीरथ की तपस्या जब फलित हुई तब गंगा प्रकट हुई और बोली , भगीरथ ! मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूँ , बर मांग । भगीरथ गंगा से मृत्युलोक ( पृथ्वी लोक ) में उतरने की प्रार्थना कीगंगा कहती हैं , मैं पृथ्वी पर नहीं उतरना चाहती क्योंकि लोग अपनें - अपनें पाप मुझमें धोएंगे फिर मैं उन पापों से कैसे मुक्त हो पाऊंगी ? भगीरथ कहते हैं , माता ! आप के तट पर सिद्धों का निवास होगा , आप उनके दैनिक जीवन के लिए जल श्रोत होंगी और उनके स्पर्श से आपकी निर्मलता बनी रहेगी अतः आप से अनुरोध है कि आप मेरे संग चलें । 

भागवत की उस कथा के अनुसार गंगोत्री से निकलने वाली भागीरथी मूल गंगा होनी चाहिए लेकिन अगले अंक में भागवत - 5.17 के आधार पर दिए गए विवरण में आप देखेंगे कि मूल गंगा अलकनंदा हैं।

~~ ॐ ~~ 

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