Tuesday, February 25, 2025

उपनिषद् रहस्य भाग 02


मुगल युवराज दारा शिकोह का उपनिषद् प्यार …….


पिछले अंक में बताया गया कि  200 से भी कुछ अधिक उपनिषद् हुआ करते थे जिनमें से 13 उपनिषद् आज उपलब्ध हैं । इन 13 उपनिषदों में से 10 पर आदि शंकराचार्य जी अपना भाष्य भी लिखे हैं जिन्हें दशोपनिषद् कहते हैं ।

दाराशिकोेह ( 1615 - 1659 ) सन् 1640 में कश्मीर गए हुए थे । कश्मीर प्रवास के दौरान उनको उपनिषदों के गूढ़  ज्ञान का पता चला । कश्मीर से लौटने के 13 वर्ष बाद सन् 1654 में  अपनी मृत्यु के ठीक 5 साल पहले काशी के पंडितों को बुलवा कर  50 उपनिषदों का फारसी जुबान में भाषान्तर करवाया था। 

दारा शिकोह के इस प्रयास के कारण उपनिषदों का प्रकाश पश्चिमी दार्शनिकों को आकर्षित किया और उपनिषदों का दर्शन विश्व स्तर पर जाने जाने लगा। 

दारा शिकोह के 50 उपनिषदों में से आज मात्र 13 उपनिषद उपलब्ध हैं शेष समयांतर के अंधेरे में लुप्त हो गए और कोई उपनिषद मनीषी उन उपनिषदों को लैटिन भाषा से किसी भी भारतीय भाषाओं में पुनः जागृत करने का प्रयाय भी नहीं किया, ऐसा जान पड़ता है ।

सीर-ए-अकबर ( महान रहस्य ) , दारा शिकोह द्वारा लिखी किताब  में उपनिषद् के वेदांत दर्शन एवं सूफी दर्शन की समरूपताओं पर प्रकाश डाला गया है । इस किताब में दारा शिकोह ने उपनिषदों एवं इस्लाम की सूफी परंपराओं की समानताओं पर  तर्क देते हुए कहा है कि उपनिषदों का ज्ञान कुरान में वर्णित "किताब-ए-मकिन" (गुप्त ग्रंथ) के समान है । उन्होंने आत्मा (रूह) और ब्रह्म (परमसत्ता) की अवधारणाओं को इस्लामी एकेश्वरवाद (तौहीद) के करीब माना हैं। 

दारा शिकोह  "वहदत-उल-वजूद" (सत्ता की एकता) और अद्वैत वेदांत को समान दृष्टिकोण वाला बताया है। यह ग्रंथ बाद में अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवादित हुआ , जिससे भारतीय धर्म और दर्शन को पश्चिम में पहचान मिली। दारा शिकोह की यह विचारधारा कट्टरपंथियों को स्वीकार नहीं थी, जिसके कारण उन्हें औरंगज़ेब द्वारा राजगद्दी से हटाया गया और मरवाया गया । दारा शिकोह की लिखी पुस्तक "सिरे अकबर" का हिन्दी में अनुवाद  श्री हर्ष नारायण द्वारा किया गया है । यह पुस्तक ई-पुस्तकालय पर मुफ्त पीडीएफ़ डाउनलोड के लिए भी सुलभ है। अब्राहम हयासिंथे एंक्वेटिल-डुपेरॉन ने 1796 में "सिर्र-ए-अकबर" का लैटिन और फ्रेंच मिश्रित भाषा में अनुवाद किया, जिसे "Oupnek'hat" नाम से जाना जाता है। यह अनुवाद उपनिषदों का पश्चिमी भाषाओं में पहला परिचय था । 

35 साल के अपने जीवन काल के 26 साल की उम्र में कश्मीर पंडितों से  संपर्क हंस और सरमद काशीनी जैसे सिद्ध सूफी संत की संगति के कारण मुग़ल युवराज दारा शिकोह का उपनिषद् प्यार , राज गद्दी पर बैठा तो नहीं सका पर अमर अवश्य बना दिया । 

सरमद दारा शिकोह से 06 साल बड़े थे और दारा शिकोह की मृत्यु के कुछ महीनों बाद औरंगजेब इन्हें की मौत की सजा दे दी थी । इस प्रकार ये दोनों उपनिषद् प्यार में अमर हो गए। अब अगले अंक में सरमद काशानी को समझने के बाद उपनिषद् परिचय की यात्रा आगे बढ़ेगी।

।।।। ॐ।।।।


Wednesday, February 12, 2025

वेदांत दर्शन में उपनिषद् रहस्य भाग - 01


उपनिषद्  परिचय

भाग - 01

अधिकांश आचार्य उपनिषदों की संख्या 200  बताते हैं पर इनका विस्तार उपलब्ध नहीं है , लेकिन सर्वाधिक स्वीकृति संख्या 108 है । सर्व स्वीकृत 108 उपनिषदों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से उपलब्ध है …

वेद

उपनिषद् 

योग

ऋग्वेद

10

10

यजुर्वेद

शुक्ल - 19

कृष्ण - 32

                 योग > 51

51

सामवेद

16

16

अथर्ववेद

31

31

योग >>

>>>>>>>>

108

उपनिषदों का वर्गीकरण उनके विषयों के आधार पर भी किया जाता जो निम्न हैं …

ब्रह्म - आत्मा , योग और यौगिक विधियां और 

वैराग्य - संन्यास ।

17वीं शताब्दी में दारा शिकोह  वाराणसी के प्रमुख वेदान्तियों को आमंत्रित किया और 50 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवाया, जिन्हें बाद में यूरोपीय विद्वानों ने लैटिन और अंग्रेजी में प्रकाशित किया । 

यदि ऐसा न हुआ होता तो उपनिषदों का ज्ञान भारत से बाहर न पहुंचा होता ।

ऊपर बताए गए 108 उपनिषदों में निम्न 13 उपनिषद प्रमुख बताए गए हैं…..

ऐतरेय

ईशावास्य

कठोपनिषद

तैत्तिरीय

बृहदारण्यक

केनोपनिषद

छान्दोग्य

प्रश्नोपनिषद

मुण्डक

मांडूक्य

श्वेताश्वतरोपनिषद्

कौषीतकि

मैत्रायणी

इन प्रमुख 13 उपनिषदों में निम्न 10 के ऊपर आदि शंकराचार्य जी के भाष्य उपलब्ध हैं….

ऋग्वेद

यजुर्वेद

सामवेद

अथर्ववेद

1

4

2

3

ऐतरेय 

ईशावास्य

(शुक्ल) 

कठोपनिषद 

(कृष्ण )

तैत्तिरीय

(कृष्ण )

बृहदारण्यक 

(शुक्ल)

केनोपनिषद

छान्दोग्य 

प्रश्नोपनिषद

मुण्डक 

मांडूक्य 

ऊपर व्यक्त उपनिषदों को दशोपनिषद्  कहा जाता है।

।।।। ॐ।।।।


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