Tuesday, April 8, 2025

चार वेदों से परिचय


परिचय

उपनिषद् परिचय के अंतर्गत पहले तीन लेख दिए जा चुके हैं जिनका सार निम्न प्रकार हैं …

भाग - 01 का सार > चार वेदों के 108 उपनिषदों को एक टेबल में दिखाया गया है  । इन 108 उपनिषदों में 13 प्रमुख उपनिषद् है तथा इन 13 उपनिषदों में से उन 10 उपनिषदों को अलग से दिखाया गया है जिनका भाष्य आदि शंकराचार्य जी द्वारा लिखा गया है जिन्हें दशोपनिषद् नाम से जाना जाता है ।

भाग - 02 का सार > मुगल बादशाह शाहजहां के युवराज दारा शिकोह 1654 में  अपनी मृत्यु के ठीक 5 साल पहले काशी के पंडितों को बुलवा कर  50 उपनिषदों का फारसी जुबान में भाषान्तर करवाया था। दारा शिकोह कै इस प्रयास के कारण भारतीय उपनिषदों का प्रकाश पश्चिम के दार्शनिकों तक पहुंच पाया था । दारा शिकोह को इस कार्य में  उनके एक मित्र सूफी फकीर सरमद से मदद मिली थी।


भाग - 03 का सार > यहां सूफी फकीर सरमद और दारा शिकोह की मित्रता के संबंध में कुछ बातें बताई गई हैं। औरंगजेब सरमद को धर्म विरोधी घोषित कर दिया और जामा मस्जिद के ठीक सामने उसके सिर को कलम करवा दिया 

था । सरमद की कब्र आज भी जामा मस्जिद दिल्ली के ठीक साथ में उपस्थित है । सरमद वाराणसी में उपनिषद् ज्ञान अर्जित किया था। दारा शिकोह को सूफी दर्शन और वेदांत दर्शन में काफी समानताएं दिखने लगी थी और यही कारण उसमें उपनिषद् प्यार उत्पन्न किया था ।

अब उपनिषद परिचय श्रृंखला के चौथे भाग में प्रवेश करते हैं जिसमें चार वेदों से परिचय कराया जा रहा है क्योंकि वेद परिचय के बाद इनके उपनिषदों को विस्तार से समझना सरल हो जायेगा; जिनका चर्चा आगेआने वाले अंकों में की जाएगी । आइए !  अब नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से वेदों से परिचय करते हैं …..

वेद

सामान्य परिचय

ऋग्वेद

रइग्वेद का जन्म स्थान पञ्च सिंधु क्षेत्र माना जाता है और इसकी भाषा वैदिक संस्कृत (Vedic Sanskrit) है, जो शास्त्रीय संस्कृत(Classical Sanskrit) से भिन्न है। इसमें प्राचीन ईरानी भाषा (Avestan) के साथ समानता के साथ शब्द-समानता (Linguistic Affinity) भी पाई जाती है। ऋग्वेद में कुल 10 मंडल (खंड) हैं, जिनमें लगभग 10,552 मंत्र संकलित हैं। ये मंत्र कुल 1,028 सूक्तों में विभाजित हैं। ऋग्वेद के ये मंत्र देवताओं की स्तुति, यज्ञ, प्रकृति, जीवन दर्शन और तत्कालीन समाज की झलक प्रस्तुत करते हैं।ऋग्वेद में यज्ञ को जीवन का आधार,कर्म ,  परोपकार एवं त्याग का प्रतीक माना गया है ।

यजुर्वेद

यजुर्वेद की रचना का मुख्य क्षेत्र उत्तर भारत विशेष रूप से वर्तमान उत्तर प्रदेश और हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुआ माना जाता है। यजुर्वेद से जुड़े कई ऋषि जैसे व्यास, याज्ञवल्क्य और वसिष्ठ उत्तर भारत के ही माने जाते हैं।
यजुर्वेद मुख्यतः यज्ञ और कर्मकांड से संबंधित है। इसमें यज्ञों में बोले जाने वाले मंत्रों और अनुष्ठान की विधियों का वर्णन है। इसमें 1,975 मंत्र हैं जिनमें से 664 मंत्र ऋग्वेद के हैं । शुक्ल यजुर्वेद में कृष्ण यजुर्वेद की तुलना में अधिक मंत्र हैं।

सामवेद

सामवेद एक तरह से ऋग्वेद का ही एक अंग है जिसका विकास वैदिक काल (1500 - 500 BCE) में प्राचीन भारत के उत्तर-पश्चिमी और गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में हुआ । यह संस्कार, अध्यात्म और भक्ति का आधार माना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यज्ञों में मंत्रों को गायन के रूप में प्रस्तुत करना था। सामवेद , यजुर्वेद से मिल कर वैदिक अनुष्ठानों , देवताओं की स्तुति आदि में प्रयोग होता है । हिंदू संगीत परंपरा की जड़ें सामवेद में हैं, और इसे भारतीय शास्त्रीय संगीत का स्रोत भी माना जाता है। यह वेद मुख्य रूप से संगीत और स्तुति से संबंधित है। इसमें 1549 मंत्र हैं, जिनमें से अधिकांश ऋग्वेद से लिए गए हैं,

अथर्ववेद

अथर्ववेद का संकलन मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम भारत में हुआ माना जाता है। वर्तमान में यह क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और अफगानिस्तान का कुछ भाग हो सकता है। इसमें उस समय के जन जीवन, चिकित्सा, तंत्र-मंत्र और लोक विश्वासों का उल्लेख मिलता है, जिससे यह क्षेत्रीय जीवन का सजीव चित्रण करता है। अथर्ववेद की भाषा वैदिक संस्कृत है, जो ऋग्वेद और अन्य वेदों के समान है, लेकिन इसमें लोकभाषा और लोककथाओं का प्रभाव भी देखा जाता है। 👉 अथर्ववेद अपने चिकित्सा, तंत्र-मंत्र और समाज कल्याण से जुड़े सिद्धांतों के लिए जाना जाता है, जो इसे अन्य तीन वेदों से अलग बनाता है ।अथर्ववेद में कुल 5,977 मंत्र संकलित हैं। ये मंत्र 20 कांडों (खंडों) में विभाजित हैं। जिनमें से लगभग 1200 मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं।


।।।। ॐ ॐ।।।।

Friday, March 28, 2025

उपनिषद् रहस्य भाग 03


उपनिषद्, दारा शिकोह और सरमद काशानी  …..

पुरानी दिल्ली जामा मस्जिद के साथ एक कब्र है , क्या आप जानते हैं कि यह कब्र किसकी है ? यह कब्र सरमद काशानी से बने औलिया सरमद की है ….

पिछले लेख में शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह के उपनिषद् प्यार के संदर्भ में बताया गया । दारा शिकोह कुछ दिनों के लिए कश्मीर यात्रा पर थे । वहां उन्हें कश्मीरी पंडितों के माध्यम से उपनिषदों के रहस्य से परिचय हुआ ।  वहां से लौटने के लगभग 13 वर्ष बाद एवं अपनी मृत्यु के ठीक 05 साल पहले दारा शिकोह काशी ( वाराणसी ( से पंडितों को बुलवा कर लगभग 50 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया । दारा शिकोह के इस प्रयास के कारण उपनिषदों का दर्शन पश्चिमी दार्शनिकों को आकर्षित करने लगा । 

जब कश्मीर से उपनिषद् की ज्ञान ज्योति लेकर दारा शिकोह वापिस आए तब से 13 वर्षों तक उनके दिल में प्रकाशित यह उपनिषद् ज्योति को सरमद कभी बुझने नहीं दिया ।

  अब आगे यह देखना होगा कि एक यहूदी जो सूफियों से आकर्षित हो कर इस्लाम धारण किया हो , वह कैसे दारा शिकोह के दिल में प्रज्वलित उपनिषद् की ज्योति को कभी बुझने नहीं दिया होगा  ! यह एक प्रमुख संदर्भ है ।

सरमद एक यहूदी व्यापारी था जो ईरानसे कालीन एवं ड्राई फ्रूट दिल्ली ले आ कर बेचता और मुरादाबाद से पीतल - ताबा के बर्तन ले जा कर ईरान में बेचता था । समयांतर में वह सूफियों की संगति में आ कर सूफी दर्शन से आकर्षित होता चला गया और इस्लाम धारण कर यहूदी से मुसलमान  बन गया । 

एक बार वह व्यापार के लिए चलते - चलते काशी के करीब स्थित गाजीपुर के एक गांव में आयोजित एक मेले में पहुंच गया । उस स्थान पर एक कब्र थी जहां लोग मत्था टेक रहे

थे । सरमद भी मत्था टेका और वहीं समाधि में उतर गया। वह रात भर वहीं कब्र पर झुका रहा । सुबह कोई गांव वाला उसे वहा  देखा और आ कर उसे उठाया । 

उठते ही , सरमद बोल पड़ा - वाह ! मिट्टी की कब्र में जब इतना नूर है तो तेरा नूर कैसा होगा ! फिर क्या था , अब एक व्यापारी सरमद परम प्रकाश की तलाश में जिज्ञासु सरमद चल पड़ा और गाजीपुर में एक पीपल वृक्ष के नीचे पुनः समाधि में उतर गया । अगले दिन वहां भिक्खू नाम का एक ब्राह्मण किसान उसे उठाया और वहां सोए होने का कारण जानना चाहा । सरमद बोला , उसवकबर के नूर की बात बता दी और आगे बोला कि अब मैं उसी नीर की लताश में हूं। भिक्खू बोला  , बावले ! संसार इतना बड़ा है , कहां - कहां उसे खोजेगा ? हां , एक सरल उपाय है , यदि कोशिश करे तो उस नूर को अपनें अंदर भी देख सकता है क्योंकि वह सबके अंदर भी है । फिर क्या था ! मानो अंधे को आँखें मिल गई हों । सरमद अपनें अंदर रब के नूर की तलाश की जिज्ञासा के साथ वह काशी आ  गया । सरमद बहुत दिनों तक काशी में उपनिषद् ज्ञान प्राप्त करता रहा । पुनः ज्ञान अर्जित  कर जब वह दिल्ली वापिस आया तब पुनः ईरान न जा कर दिल्ली में ही एक कंबल ओढ़े नग्न संन्यासी के रूप में भ्रमण करने लगा और अपना केंद्र जामा मस्जिद बना लिया।

दारा शिकोह प्रति दिन  जामा मस्जिद नवाज पढ़ने आता और सूफी दर्शन का प्रेमी होने के कारण सरमद से उसकी मित्रता बढ़ने लगी । उपनिषद् दर्शन और सूफी दर्शन में काफी निकटता होने के कारण दारा शिकोह भी उपनिषद् प्रेमी होता चला गया और सरमद की सलाह से प्रभावित हो कर , वह काशी से पंडितों को आमंत्रित कर 50 उपनिषदों का भाषान्तर फारसी भाषा में करवाया ।

कुछ समय बाद दारा शिकोह को औरंगजेब मरवा दिया । कुछ दिन और बीते और एक दिन जामा मस्जिद की सिद्धियों पर सरमद का सिर भी कटवा दिया गया । सरमद का सिर ससीढ़ियों के लुढ़कता - लुढ़कता उस स्थान पर आ पहुंचा जहां आज भी उसकी कब्र स्थित है । कहते हैं , उस घड़ी गाजीपुर का वह भिक्खू ब्राह्मण सरमद के सिर के पास प्रकट हुआ और बोला , सरमद ! अब तुम औलिया सरमद हो गए हो , आओ , चलो , मेरे साथ , अब तेरा वक्त पूरा हो गया है ।

इस प्रकार दारा शिकोह और सरमद की जोड़ी के कारण आज उपनिषदों का प्रकाश सारे जगत में प्रकाशित हो रहा है।

।।। ॐ ॐ ।।।

Tuesday, February 25, 2025

उपनिषद् रहस्य भाग 02


मुगल युवराज दारा शिकोह का उपनिषद् प्यार …….


पिछले अंक में बताया गया कि  200 से भी कुछ अधिक उपनिषद् हुआ करते थे जिनमें से 13 उपनिषद् आज उपलब्ध हैं । इन 13 उपनिषदों में से 10 पर आदि शंकराचार्य जी अपना भाष्य भी लिखे हैं जिन्हें दशोपनिषद् कहते हैं ।

दाराशिकोेह ( 1615 - 1659 ) सन् 1640 में कश्मीर गए हुए थे । कश्मीर प्रवास के दौरान उनको उपनिषदों के गूढ़  ज्ञान का पता चला । कश्मीर से लौटने के 13 वर्ष बाद सन् 1654 में  अपनी मृत्यु के ठीक 5 साल पहले काशी के पंडितों को बुलवा कर  50 उपनिषदों का फारसी जुबान में भाषान्तर करवाया था। 

दारा शिकोह के इस प्रयास के कारण उपनिषदों का प्रकाश पश्चिमी दार्शनिकों को आकर्षित किया और उपनिषदों का दर्शन विश्व स्तर पर जाने जाने लगा। 

दारा शिकोह के 50 उपनिषदों में से आज मात्र 13 उपनिषद उपलब्ध हैं शेष समयांतर के अंधेरे में लुप्त हो गए और कोई उपनिषद मनीषी उन उपनिषदों को लैटिन भाषा से किसी भी भारतीय भाषाओं में पुनः जागृत करने का प्रयाय भी नहीं किया, ऐसा जान पड़ता है ।

सीर-ए-अकबर ( महान रहस्य ) , दारा शिकोह द्वारा लिखी किताब  में उपनिषद् के वेदांत दर्शन एवं सूफी दर्शन की समरूपताओं पर प्रकाश डाला गया है । इस किताब में दारा शिकोह ने उपनिषदों एवं इस्लाम की सूफी परंपराओं की समानताओं पर  तर्क देते हुए कहा है कि उपनिषदों का ज्ञान कुरान में वर्णित "किताब-ए-मकिन" (गुप्त ग्रंथ) के समान है । उन्होंने आत्मा (रूह) और ब्रह्म (परमसत्ता) की अवधारणाओं को इस्लामी एकेश्वरवाद (तौहीद) के करीब माना हैं। 

दारा शिकोह  "वहदत-उल-वजूद" (सत्ता की एकता) और अद्वैत वेदांत को समान दृष्टिकोण वाला बताया है। यह ग्रंथ बाद में अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवादित हुआ , जिससे भारतीय धर्म और दर्शन को पश्चिम में पहचान मिली। दारा शिकोह की यह विचारधारा कट्टरपंथियों को स्वीकार नहीं थी, जिसके कारण उन्हें औरंगज़ेब द्वारा राजगद्दी से हटाया गया और मरवाया गया । दारा शिकोह की लिखी पुस्तक "सिरे अकबर" का हिन्दी में अनुवाद  श्री हर्ष नारायण द्वारा किया गया है । यह पुस्तक ई-पुस्तकालय पर मुफ्त पीडीएफ़ डाउनलोड के लिए भी सुलभ है। अब्राहम हयासिंथे एंक्वेटिल-डुपेरॉन ने 1796 में "सिर्र-ए-अकबर" का लैटिन और फ्रेंच मिश्रित भाषा में अनुवाद किया, जिसे "Oupnek'hat" नाम से जाना जाता है। यह अनुवाद उपनिषदों का पश्चिमी भाषाओं में पहला परिचय था । 

35 साल के अपने जीवन काल के 26 साल की उम्र में कश्मीर पंडितों से  संपर्क हंस और सरमद काशीनी जैसे सिद्ध सूफी संत की संगति के कारण मुग़ल युवराज दारा शिकोह का उपनिषद् प्यार , राज गद्दी पर बैठा तो नहीं सका पर अमर अवश्य बना दिया । 

सरमद दारा शिकोह से 06 साल बड़े थे और दारा शिकोह की मृत्यु के कुछ महीनों बाद औरंगजेब इन्हें की मौत की सजा दे दी थी । इस प्रकार ये दोनों उपनिषद् प्यार में अमर हो गए। अब अगले अंक में सरमद काशानी को समझने के बाद उपनिषद् परिचय की यात्रा आगे बढ़ेगी।

।।।। ॐ।।।।


Wednesday, February 12, 2025

वेदांत दर्शन में उपनिषद् रहस्य भाग - 01


उपनिषद्  परिचय

भाग - 01

अधिकांश आचार्य उपनिषदों की संख्या 200  बताते हैं पर इनका विस्तार उपलब्ध नहीं है , लेकिन सर्वाधिक स्वीकृति संख्या 108 है । सर्व स्वीकृत 108 उपनिषदों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से उपलब्ध है …

वेद

उपनिषद् 

योग

ऋग्वेद

10

10

यजुर्वेद

शुक्ल - 19

कृष्ण - 32

                 योग > 51

51

सामवेद

16

16

अथर्ववेद

31

31

योग >>

>>>>>>>>

108

उपनिषदों का वर्गीकरण उनके विषयों के आधार पर भी किया जाता जो निम्न हैं …

ब्रह्म - आत्मा , योग और यौगिक विधियां और 

वैराग्य - संन्यास ।

17वीं शताब्दी में दारा शिकोह  वाराणसी के प्रमुख वेदान्तियों को आमंत्रित किया और 50 उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवाया, जिन्हें बाद में यूरोपीय विद्वानों ने लैटिन और अंग्रेजी में प्रकाशित किया । 

यदि ऐसा न हुआ होता तो उपनिषदों का ज्ञान भारत से बाहर न पहुंचा होता ।

ऊपर बताए गए 108 उपनिषदों में निम्न 13 उपनिषद प्रमुख बताए गए हैं…..

ऐतरेय

ईशावास्य

कठोपनिषद

तैत्तिरीय

बृहदारण्यक

केनोपनिषद

छान्दोग्य

प्रश्नोपनिषद

मुण्डक

मांडूक्य

श्वेताश्वतरोपनिषद्

कौषीतकि

मैत्रायणी

इन प्रमुख 13 उपनिषदों में निम्न 10 के ऊपर आदि शंकराचार्य जी के भाष्य उपलब्ध हैं….

ऋग्वेद

यजुर्वेद

सामवेद

अथर्ववेद

1

4

2

3

ऐतरेय 

ईशावास्य

(शुक्ल) 

कठोपनिषद 

(कृष्ण )

तैत्तिरीय

(कृष्ण )

बृहदारण्यक 

(शुक्ल)

केनोपनिषद

छान्दोग्य 

प्रश्नोपनिषद

मुण्डक 

मांडूक्य 

ऊपर व्यक्त उपनिषदों को दशोपनिषद्  कहा जाता है।

।।।। ॐ।।।।


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