प्रभु की ओर
गीता कहता है आप इनके माध्यम से प्रभु से जुड़ सकते हैं -----
[क] श्री राम , परम श्री कृष्ण और अर्जुन को समझ कर --गीता ..10.31 - 10.32, 10.37
[ख] काल का महाकाल को समझ कर -- गीता .. 10.33, 11.32
[ग] विष्णु , इन्द्र , कपिल मुनि , नारद, यमराज --गीता .. 10.21 - 10.22, 10.26, 10.29
[घ] वेदव्यास , शुक्राचार्य , कुबेर --गीता ..10.23, 10.31, 10.37
[च] कामदेव , काम -- गीता ..10.28, 7.11
[छ] मौन, वायु, पीपल का पेड़ --गीता ..10.26, 10.31, 10.38
[ज] मन , बुद्धि , चेतना --गीता ..7.10, 10.22
[झ] शंकर , हिमालय , गंगा , सागर -- गीता ..10.23, 10.24, 10.25, 10.31
[च] ॐ , ओंकार , गायत्री -- गीता ..7.8, 7.9, 9.19, 10.23, 10.25, 10.35
वह जो अपरा भक्ति के माध्यम से परमात्मा से जुड़ना चाहते हैं उनके लिए गीता ऊपर के सूत्रों के माध्यम से कुछ उदाहरण देता है जिनको मन - बुद्धि से पकड़ना संभव है और यदि पकड़ के साथ रुकावट न आये तो उस प्रभु में पहुँचना संभव है जो मन - बुद्धि के परे की अनुभूति है [ गीता 12.3 - 12.4 ]
आप चाहें तो सिव से सागर तक की यात्रा , गंगा के माध्यम से करें या मौन से एक ओंकार की यात्रा पीपल पेड़ के पत्तों के संगीत से करें , अंततः आप वहाँ पहुंचेंगे जो भावातीत है ।
===ॐ=====
Saturday, January 30, 2010
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