Wednesday, June 3, 2015

गीता के मोती - 43


जन्म से जो कर्म मिला है ,
वह परिवर्तशील है
पर कर्म से जो जन्म मिला है ,
वह अपरिवर्तीय है।

Tuesday, June 2, 2015

गीता के मोती - 42

गीता : 9.7
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् ।
कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृनानि अहम् ।।
" कल्पके अंत में सभीं भूत मेरी प्रकृति में लीन हो जाते हैं । अगला कल्प जब प्रारम्भ होता है तब मैं पुनः सबको रचता हूँ "
* 04 प्रकारकी प्रलय भागवत बताता है : नित्य ,आत्यंतिक, नैमित्तिक और प्राकृतिक ।
** कल्पके अंत में नैमित्तिक प्रलय होती है । यह प्रलय ब्रह्माका एक दिन अर्थात एक कल्पका समय जब गुजर जाता है तब घटित होती है।
** ब्रह्माके एक दिन में 14 मनु होते हैं । वर्तमान समय में सातवें मनु श्राद्धदेव जी चल रहे हैं ।
**ब्रह्माकी उम्र 72000 कल्पोंकी होती है और एक कल्प 1000 चतुर्युगोंका होता है जबकि एक चतुर्युग 4,320,000 वर्षका होता है ।
~~ॐ ~~

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