Tuesday, August 31, 2021

पतंजलि समाधि पाद के 51 सूत्रों का सार क्रमशः

 पतंजलि योगसूत्र समाधि पाद के 51 सूत्रों का सार पिछले अंक में एक तालिका में दिखाया गया था । उनका विस्तार 07 भागों में यहाँ दिया जा रहा है । 51 सूत्रों को 07 भागों में उनके बिषयों के आधार पर रखा गया है ।

मेरा उद्देश्य है पतंजलि सूत्रों को  आप सबको पिलाना और इस उद्धेश्य से एक बिषय को अलग - अलग ढंग से रखने की कोशिश करता रहता हूँ और इसी ढंग को अभ्यास योग कहते हैं

देखिये निम्न दो स्लाइड्स को ⬇️



Monday, August 30, 2021

पतंजलि समाधि पाद के 51 सूत्रों का सार

 महर्षि पतंजलि योगसूत्र दर्शन 04 पादों के 195 सूत्रों में उपलब्ध है। 04 पादों में समाधि पाद में कुल 51 सूत्र हैं । इस अंक से पहले समाधि पाद के सारे सूत्र दिए जा चुके हैं । आज हम एक स्लाइड में समाधि पाद के सार को दिखा रहे हैं जिससे यह पाद स्मृति में अपनी जगह बना सके । आइये देखते हैं , स्लाइड को ⬇️


Sunday, August 29, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र 46 - 51

 पतंजलि योग समाधि पाद सूत्र : 46 - 51

(हिंदी भाषान्तर )

आज पतंजलि योग सूत्र समाधि पाद का समापन सबीज समाधि के साथ हो रहा है । अब आगे समाधि पाद के कुछ आकर्षणों की प्रस्तुत किया जायेगा । 

यदि आप की रूचि पतंजलि योग सूत्रों में हो तो आप इससे जुड़े रहें ।

 जो सांख्य दर्शन की 72 कारिकाओं तथा पतंजलि के 195 योग सुत्रों को नहीं समझा , वह भारतीय शास्त्रों जैसे महाभारत , 18 पुराण तथा अन्य शास्त्रों से थीक - ठीक जुड़ा नहीं हो सकता । सांख्य और पतंजलि भारतीय दर्शनों की बुनियाद हैं।

 आगे चल कर हम सबीज , निर्बीज और धर्ममेघ समाधियों को समझने का प्रयत्न करने वाले हैं ।

अभीं सबीज समाधि सम्बंधित समाधि पाद के 06 सूत्रों की निम्न स्लाइड्स के माध्यम से समझते हैं 🔽

आग




Saturday, August 28, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र 44 - 45 अलिङ्ग , लिङ्ग , विशेष , अविशेष

 महर्षि पतंजलि समाधि पाद के आखिरी कुछ सुत्रों में योग साधना और सांख्य साधना के अति महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर इशारा करते हैं ।

# सविचार - निर्विचार समापत्ति अलिङ्ग के बाद तक रहती है ~ समाधि सूत्र - 45 

💐 यहाँ समाधि पाद सूत्र - 17 , समाधि पाद सूत्र - 18 और 19 तथा साधन पाद सूत्र - 19 को एक साथ देखना चाहिए ।

💐-सम्प्रज्ञात समाधि 04 प्रकार की है - वितर्क , विचार , आनंद और अस्मिता । इनमें से प्रथम 03 समाधि सिद्ध योगी प्रकृति लय योगी होता है और अस्मिता सिद्ध योगी विदेह लय योगी होता है ।

💐 पञ्च महाभूतों के आश्रित मिली समाधि वितर्कानुगत समाधि होती है और पञ्च तन्मात्रों के आधारित मिली समाधि विचारानुगत समाधि कहलाती है । अस्मिता समाधि में योगी गुणातीत हो जाता है अर्थात अलिङ्ग की अवस्था में होता है।

💐 अब साधन पाद - 19 को देखें > मूल प्रकृति अर्थात तीन गुणों की साम्यावस्था अलिङ्ग है , महत् लिङ्ग है , 11 इन्द्रियां विशेष कहलाती हैं और 05 तन्मात्रों एवं अहँकार को अविशेष कहते हैं ।





Thursday, August 26, 2021

पतंजलि समाधि पाद 37 - 41 कुछ ध्यान आलंबन

 महर्षि पतंजलि योग सूत्र का समाधि पाद अब समापन के बहुत समीप आ चुका है । अभीं तक की यात्रा जो योग एक अनुशासनं है , चित्त वृत्ति निरोधः योगः से प्रारम्भ हुयी थी आज शांत चित्त की पहचान करा रही है ।

आइये अब स्व को निम्न स्लाइड्स पर केंद्रित करते हैं ⬇️



Wednesday, August 25, 2021

समाधि पाद 34 - 36 बाह्य कुम्भक प्राणायाम

 # महर्षि पतंजलि योगसूत्र दर्शन समाधि पाद के अंतर्गत सूत्र : 12 - 39 के मध्य चित्त को स्थिर और शांत बनाये रखने के 08 उपाय बताए  हैं ( देखिये स्लाइड - 1 ) /

# इन 08 उपायों में तीन उपाय ( उपाय : 3 - 5 ) को यहाँ स्लाइड : 2 और स्लाइड : 3 में समाधि पाद सूत्र : 34 और सूत्र : 35 के माध्यम से स्पष्ट किया जा रहा है ।

# इन उपायों में बाह्य कुम्भक प्राणायाम अभ्यास , कोई सात्त्विक आलंबन और ज्योति आलंबन पर चित्त को लंबे समय तक स्थिर रखने के अभ्यास को बताया गया है ।

💐ध्यान रखें ! ये सारे 08 उपाय केवल वर्तमानमें उठनेवाली चित्त वृत्तियों से चित्त को दूर रखने के लिए हैं लेकिन संचित वृत्तियाँ इन अभ्यासों में बाधाएं बन सकती हैं / अतः अभ्यास के समय चित्त में संचित पूर्व अनुभवों के आधार पर वृत्तियो को उठने नहीं देना चाहिए। ऐसा कैसे संभव हो सकता है ?

👌योगाभ्यास के समय चित्त में उठ रही वृत्ति पर ध्यान रखें ऐसा करने का अभ्यास , वृत्तियों को उठने नहीं देगा और चित्त ध्यान आलंबन पर शांत स्थिर होने लगेगा।

अब देखें निम्न 03 स्लाइड्स ⬇️



Monday, August 23, 2021

योग बाधाओं से अछूता कैसे रहे ? योगसूत्र 32-33

 पिछले अंक में योग साधना सिद्धि में आने वाली 14 बाधाओं को देखा गया और यह भी देखा गया कि एकाग्रता अभ्यास से ये बाधाएँ दूर होती हैं । अब कुछ ऐसे उपायों को देख रहे हैं जिनका गहरा अभ्यास योग बाधाओं से दूर रखते हैं ।

एकाग्रता का भाव है एक आलम्ब पर चित्त को ऐसे स्थिर करना कि समय का पता तक न चल सके । एकाग्रता सिद्धि से धारणा , ध्यान और समाधि सिद्धियों के मार्ग खुल जाते हैं ।

अब स्लाइड देखते हैं ⬇️


Sunday, August 22, 2021

पतंजलि योग साधना में आने वाली बाधाएँ भाग 1,2,3

 महर्षि पतंजलि अपने योगसूत्र : 30 - 31 में योग साधना में आनेवाली बाधाओं के सम्बन्ध में बता रहे हैं । सूत्र - 30 में 09 बाधाओं की सूची देते हैं और सूत्र - 31 में कहते हैं , 05 और बाधाएँ हैं इस प्रकार कुल 14 बाधाओं को बताते हैं । योग साधना में उतरने से पहले इन बाधाओं की थीक - थीक समझ लेना चाहिए ।

💐आगे आने आने वाले सूत्रों में इन बाधाओं से बचने के कुछ उपायों के सम्बन्ध में भी बताते हैं ।




Saturday, August 21, 2021

पतंजलिके ईश्वर कैसे हैं ?

 महर्षि पतंजलि सांख्य दर्शन के 25 तत्त्वों के सिद्धांत का समर्थन करते हैं । प्रकृति , पुरुष और प्रकृति विकृति के फलस्वरूप उपजे 23 तत्त्व ( बुद्धि , अहँकार , 11 इन्द्रियाँ , 5 तन्मात्र और 5 महाभूत ) पर सांख्य दर्शन आधारित है । पतंजलि  इन्ही 25 तत्त्वों को मानते हैं लेकिन पुरुष 25 वें तत्त्व में ईश्वर को पुरुष विशेष संज्ञा से संबोधित करते हैं और उन्हें परिभाषित भी करते हैं जैसा नीचे दी गयी स्लाइड्स में दिखाया गया है । विशेष बात यह है कि पुरुष विशेष से तत्त्वों की संख्या 26 नहीं होती , 25 ही रहती है ।

👌 अब देखते हैं उन पतंजलि के सूत्रों को जिनका सम्बन्ध ईश्वर से है ⬇️




Friday, August 20, 2021

पतंजलि योग सूत्र में ईश्वर प्रणिधान क्या है ?

 पतंजलि योग सूत्र में ईश्वर और ईश्वर प्रणिधान 

सांख्य दर्शन दुःख भरे जीवन से मुक्त होने और मोक्ष प्राप्ति का सिद्धान्त देता है और उन सिद्धांतों के आधार पर चल कर भोग से योग और योग से कैवल्य प्राप्ति के उपाय , पतंजलियोग सूत्र दिखाते हैं ।

सांख्य में ईश्वर शब्द नहीं हैं और पतंजलि चित्त शान्त एवं  स्थिर रखने के अपनें बताये गए 08 उपायों में ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा और प्रेम को एक प्रमुख उपाय के रूप में देखते हैं ।

💐अब निम्न 03 स्लाइड्स के आधार पर पतंजलि के ईश्वर को समझते हैं ⬇️




Sunday, August 15, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र 21 - 22 तीन प्रकार के योग साधक

 💐 पतंजलि योग साधना अर्थात अष्टांगयोग की साधना । समाधि पाद में चित्त को नियोजित करानें के 08 उपाय बताये गए हैं जैसा नीचे स्लाइड - 1 में दिखाया जा रहा है । इन 08 उपायों में पहला उपाय अभ्यास - वैराग्य का है जिसे समाधि पाद सूत्र : 12 - 22 तक में व्यक्त किया गया है ।

👌 महर्षि योग साधकों को उनकी योग साधना की गति के आधार पर 03 श्रेणियाँ बनाते हैं , जैसा सूत्र : 22 में बताया गया है । 

💐 योग साधना की गति क्या है ?

साधना जब निम्न भूमियों से उच्च भूमियों की ओर रुख बनाये रखे तो इसे साधना की गति कहते हैं । योग साधना में हर पल उच्च भूमि से निम्न भूमि पर सरक आने की संभावना अधिक होती है और निम्न भूमि से उच्च भूमि में चढ़ना एक कठिन अभ्यास है ।  पतंजलि कहते हैं कि साधना एक पूर्व निर्धारित सात्त्विक आलंबन पर लंबे समय तक होती रहनी चाहिए अर्थात धीरे - धीरे एकाग्रता की अवधि बढ़ती चली जानी चाहिए और अंततः यह एकाग्रता समाधि में रूपांतरित हो जाती है । ध्यान रखें , आलंबन युक्त समाधि सम्प्रज्ञात समाधि होती है ।


।। ॐ ।।

Friday, August 13, 2021

समाधि पाद सूत्र - 20 संयम क्या है ?

 महर्षि पतंजलि समाधि पाद सूत्र - 20

💐 यहाँ महर्षि दो बातों की ओर ध्यान केंद्रित करा रहे हैं ...

1 - जिनके पास स्लाइड में बताये गए 05 गुण हैं  समझो वे कैवल्य के द्वार को खटखटा रहे हैं और दूसरी बात ....

2 - अष्टांगयोगाभ्यास में जिनको धारणा , ध्याम और समाधि एक साथ एक स्थान पर एक ही समय घटित हो रही हो , वे भी कैवल्य द्वार पर खड़े हैं , ऐसा समझना चाहिए । 

👌आगे चल कर हम देखेंगे कि अष्टांगयोग के 08 अंग हैं जिनमें आखिरी 03 अंग ध्यान , धारणा और समाधि हैं । ध्यान रखें कि यह समाधि सबीज समाधि या संम्प्रज्ञात समाधि होती है जिसके सम्बन्ध में पिछले अंक में देखा गया है । 

👌 धारणा , ध्यान और समाधि की सिद्धि एक साथ जब मिलती रहती है तब इसे संयम कहते हैं ।

संयम सिद्धि से असम्प्रज्ञात समाधि में पहुंचा जाता है और असम्प्रज्ञात समाधि सिद्धि से कैवल्य में तब पहुंचा जा सकता है जब साधना में लगातार उच्च भूमि की और चित्त का रुख बना रहे ।

कैवल्य क्या है ?

पतंजलि कैवल्य पाद में  बताते हैं कि ...

पुरुषार्थ का शून्य हो जाना , कैवल्य है अर्थात गुणातीत की स्थिति में पहुंचना , कैवल्य है जहाँ अर्थ , धर्म , काम और मोक्ष प्राप्ति की चाह - शून्यता होती है /



Thursday, August 12, 2021

समाधि पाद सूत्र - 18 , 19 सम्प्रज्ञात समाधि

 पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 18 - 19 संम्प्रज्ञात समाधि

💐 समाधि पाद सूत्र : 16 - 17 में वैराग्य सिद्धि से 04 प्रकार की  समाधियों के द्वार खुल जाते हैं । ये समाधियाँ वितर्क , विचार , आनंद और अस्मिता हैं ।

💐 अब समाधि पाद : 18 - 19 में संम्प्रज्ञात समाधि की बात चल रही है । ऊपर समाधि पाद सूत्र : 16 - 17 में जो 04 प्रकार की समाधियाँ  बतायी गयीं वे वस्तुतः संम्प्रज्ञात समाधि के अंग हैं ।

संम्प्रज्ञात समाधि आलंबना आधारित समाधि है और इसे सबीज समाधि भी कहते हैं या साकार समाधि भी कह सकते हैं। संम्प्रज्ञात समाधि तब घटित होती है जब चित्त संस्कार को छोड़ अन्य सभीं एकत्रित सूचनाओं से मुक्त हो गया होता है । 

💐अब समझना होगा कि संस्कार क्या होता है ? जिसे आगे चल कर देखा जाएगा ।

👌 जब संम्प्रज्ञात समाधि - सिद्धि के बाद असम्प्रज्ञात समाधि मिलती है जिसमें चित्त संस्कार मुक्त हो जाता है और कैवल्य के द्वार उसके लिए खुल जाते हैं। इस सार के साथ अब स्लाइड को देखे और यह सार जो अभीं बताया गया वह पूरे पतंजलि सूत्र के 195 सूत्रों का सार है अतः इसे स्पष्ट समझना आवश्यक है।



Wednesday, August 11, 2021

पतंजलियोग में सूत्र : 16 - 17 भाग - 2 (वैराग्य सिद्धि से समाधि )

 पतंजलि समाधि सूत्र - 17 में वैराग्य सिद्धि से संम्प्रज्ञात समाधि 

पतंजलि ऋषि कह रहे हैं कि जब वैराग्य गहराता है तब सबीज (संम्प्रज्ञात समाधि ) घटित होती है जो 04 प्रजार की होती है जैसा नीचे स्लाइड में दिखाया गया है ।

अब इन 04 प्रकार की समाधियों के सम्बन्ध में समझने के लिए ध्यान से स्लाइड पर मनन करना पड़ेगा ।

एक बात पर ध्यान रखना चहिते कि संम्प्रज्ञात समाधि आलंबन मुक्त समाधि नहीं , अतः अभीं भी योग सिद्धि कुछ दूर है ।

अब उतरते हैं , नीचे दी गयी स्लाइड में ⬇️


Monday, August 9, 2021

पतंजलि योग सूत्र में वितृष्णा क्या है ?

पतंजलि योग सूत्र में वितृष्णा क्या है ?

 💐 इंद्रियों का रुख उनके बिषयों की ओर न हो कर चित्त की ओर हो जाना ....

💐 कबीर दास जी कहते हैं , पुतलियों को उलटी कर लेना

💐 गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , इंद्रिय - बिषयों में सघन राग -द्वेष की ऊर्जा होती है जो इंद्रियों को बिषयों से आकर्षित होने के लिए बाध्य करती है ।

# इन्द्रिय - विषय से वैराग्य तक की यात्रा और वैराग्य में समाधि माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति का जो मार्ग वेदांत दर्शन के आधार पर गीता में बताया गया है , उसी ज्ञान के लिए पतंजलि अष्टांगयोग साधना के माध्यम से सम्प्रज्ञात समाधि और सम्प्रज्ञात समाधि से असम्प्रज्ञात समाधि तथा असम्प्रज्ञात समाधि से कैवल्य तक की यात्रा कराते  हैं । इस यात्रा का मध्य पड़ाव है - इंद्रियों में वितृष्णा की ऊर्जा का भरजाना । 

अब देखते हैं निम्न स्लाइड को ⬇️



Sunday, August 8, 2021

पतंजलि का अभ्यास - वैराग्य भाग - 2

 💐 पतंजलि अपने योग सूत्र के माध्यम से चित्त को वृत्तियों से मुक्त कराने की 10 विधियां देते हैं । इन विधियों में पहली विधि है - अभ्यास और वैराग्य की ।

👌 अभ्यास क्या है ? और वैराग्य क्या है ? इन दो प्रश्नों को समझते हैं .....

◆ चित्त को एक आलम्बन ओर स्थिर रखने की आदत बनाना , अभ्यास है ।

◆ जब इन्द्रियाँ अपनें - अपनें बिषयों से आकर्षित न हों और मन में बिषयों के प्रति वितृष्णा का भाव भर जाय तब  मन की उस स्थिति को वैराग्य कहते हैं । मन चित्त का एक अंग है जो सूचनाओं का संग्रह करता है । चित्त , बुद्धू , मन और अहँकार के समूह को कहते हैं ।

अब आगे ⬇️

।। ॐ ।।

पतंजलि समाधि पाद अभ्यास - वैराग्य भाग - 01

 ◆ पहली स्लाइड में चित्त - वृत्ति निरोध के उपाय अभ्यास - वैराग्य के सम्बन्ध में बताया जा रहा है

◆ स्लाइड - 02 में पतंजलि अपनें 195 योग सूत्रों में चित्त वृत्ति 

निरोध के लिए 10 उपायों को बताये हैं , उन उपायों को दर्शाया गया है। 

देखते हैं निम्न दो स्लाइड्स को और पतंजलि योग यात्रा का आनंद उठाते हैं ⬇️

 

।। ॐ ।।

Saturday, August 7, 2021

पतंजलि योग सूत्र में चित्त वृत्ति निरोध भाग - 1

 पतंजलि योग सूत्र समाधि पाद सूत्र : 12 - 15 

चित्त वृत्ति निरोध के लिए अभ्यास - वैराग्य 

 चित्त वृत्ति निरोध के लिए पतंजलि के 08 उपायों में से एक है अभ्यास - वैराग्य ।

नीचे दी गयी स्लाइड चित्त वृत्ति निरोध के उपायों का आइना है । आगे चल कर इस आईने में उभड़ रही तस्बीरों को अलग - अलग देखा जाएगा ।

# अब स्लाइड को देखते हैं ⬇️



Friday, August 6, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 10 - 11

 चित्त की वृत्तियां - निद्रा और स्मृति 

यहाँ स्लाइड में देखे कि चित्त की निद्रा और स्मृति वृत्तियाँ क्या हैं ?
।। ॐ ।।

Wednesday, August 4, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 8 - 9

 पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 8 - 9

चित्त की वृत्तियाँ ; विपर्यय और विकल्प

# विपर्यय अर्थात सत्य को असत्य और असत्य को सत्य समझना : यह स्थिति राजस - तामस गुणों के प्रभाव में  अविद्या के कारण आती है।

# विकल्प अर्थात किसी वस्तु का सर्वमान्य ग्रंथों में दिए गए वस्तु वर्णन के आधार पर चित्त में उसका एक नक्शा बना लेना जैसे भूत - प्रेत , देवी - देवता जिनको प्रमाण के आधार पर नहीं समझा जा सकता अतः उनके सम्बन्ध में धार्मिक ग्रंथों में दिए गए वर्णनों के आधार पर मान लेते हैं ।

##अब देखते हैं स्लाइड को ⬇️


।। ॐ ।।

Tuesday, August 3, 2021

पतंजलि समाधि सूत्र - 7 प्रमाण चित्त वृत्ति

 पतंजलि समाधि सूत्र - 7

प्रमाण चित्त वृत्ति 

➡️ निम्न स्लाइड स्वयं में पूर्ण स्पष्ट है , आइये ! देखते है⬇️



Monday, August 2, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 5 , 6

 पतंजलि योगसूत्र समाधि पाद सूत्र : 5 + 6

💐यहाँ महर्षि चित्त की वृत्तियों के सम्बन्ध में बता रहे हैं । 05 प्रकार की वृत्तियॉं गुणों के प्रभाव के कारण दो भागों में विभक्त की जा सकती हैं ; क्लिष्ट और अक्लिष्ट ।

👌सात्त्विक गुण प्रभावित वृत्ति अक्लिष्ट कहलाती है और राजस - तामस गुण प्रभावित वृत्ति क्लिष्ट वृत्ति कहलाती है।

👍 जबतक वृत्तियों का आवागमन निर्मूल नहीं होता तबतक चित्त निर्मल नहीं हो सकता और बिना निर्मल चित्त सत्य की अनुभूति का उदय होना संभव नहीं ।

<> अब देखते हैं स्लाइड को ⬇️



Sunday, August 1, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र 1 - 4

 पतंजलि योग सूत्र समाधि पाद सूत्र : 1 , 2 , 3 , 4

# जब भी आप पतंजलि योग सूत्रों से स्वयं को जोड़ें , ध्यान रखें कि पतंजलि वह मार्ग दिखा रहे हैं जो चित्त को पुरुष के मूल स्वरूप में पहुँचाता है । यह सिद्धांत सांख्य का है लेकिन इसे पकड़ने के लिए पतंजलि सूत्रों में जाना पड़ता है ।

अब देखते हैं निम्न स्लाइड को जो योग की परिभाषा से सम्बंधित है ⬇️

।। ॐ ।।

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