Thursday, June 20, 2013

गीता ज्ञान - 21

मन 

प्रभु श्री कृष्ण कह रहे हैं ::

" इन्द्रियाणाम् मनः च अहम् "
गीता - 10.22

और

 भागवत कह रहा है  :

[क] " संसार मन का विलास है "
भागवत - 11.13.1

[ख] " मन की 11 बृत्तियां हैं - 10 इन्द्रियाँ + अहँकार 
भागवत - 5.11

[ग] Max Planck [ 1918 - Noble Prize ] कहते हैं :
" Mind is the matrix of matters "


  • मनुष्य का जीवन मन आधारित है
  •  जो ---
  • भोग में रमाता है ...
  • भोग में वैराज्ञ दिखाता है ....
  • वैराज्ञ में संसार को अद्वैत के फैलाव स्वरु पहै, यह बात  समझाता  है ....
  • और ---
  • फिर धीरे से परम गति की ओर चला  कर स्वयं लुप्त हो कर ....
  • यात्री को द्रष्टा बना देता है /


=== ओम् ====


Tuesday, June 11, 2013

कुरुक्षेत्र को समझो

Title :कुरुक्षेत्र की स्थिति Content: कुरुक्षेत्र की स्थिति महाभारत के भीष्म पर्व के तीसरे उपखंड के रूप में गीता है । अब जरा इसे देखें और समझें :------ * महाभारत में 18 खंड हैं ..... * गीता में 18 अध्याय हैं ...... * युद्ध 18 दिन चला था ....... * युद्ध में 18 अक्षवनी सेनायें भाग ली थी * 21870 लोग प्रति दिन मारे गए ...... * महाभारत में 6वां खंड भष्म खंड है ..... * इसमें 4 उप खंड इस प्रकार से हैं ...... + जम्मू खंड निर्वाण पर्व ( 6.1-6.19 ) + भूमि पर्व ( 6.11 - 6.6.24 ) + गीता ( 6.25 - 6.42 ) + भीष्म बध पर्व ( 6.43 - 6.122 ) * पांडव पक्ष में ... द्वारका , काशी , एक भाग कैकेय का , मगध , छेदी , पंड्या , मथुरा का यदूकुल के लोग थे । * कौरव पक्ष में...... pragjotish , matsya , anga , one part of kaikeya , sindhu desha , maheshmati , avanti , gandhara , balikas , kamboja, yavana , saka , tusharas के लोग थे । ** कुरुक्षेत्र की स्थिति उत्तर में sirhand दक्षिण में खंडवा ( दिल्ली ) पूर्व में panin पध्चिम में मरू यह बात buddhist scripture Anguttara Nikaya में दिता गया है । जिस समय ( 5000 B C E ) महाभारय युद्ध हुआ उस समय भारत भूमि 16 महाजन पदों में बिभक्त था , कुछ इस प्रकार :------ Anga , Magadh , Vijji , Kashi , Malla , Koshala , Panchala , Vats , Chetiya , Avanti ,Assaka , Matsys , Surasena, KURU , Gandhara , Kamboja . KURU JANAPADA गंगा और यमुना के मध्य का भाग यमुना और सरस्वती के मध्य का भाग हस्तिनापुर थानेश्वर और हिसार के मध्य का त्रिभुजाकार क्षेत्र कुरुजनपद था ; हस्तिनापुर और यमुना के मध्य का भाग था कुरुराष्ट्र और शेष भाग दो भागो में था ------ 1- kandawa ( दिल्ली के आस पास का भाग ) 2- कुरु जंगल : 1- kandwa दिल्ली , मेवात , रोहतक तथा आस पास 2- कुरु जंगल पानीपत से अम्बाला तक तथा hisar तक । हिसार से जींद सफेदो पानीपत करनाल थानेश्वर पहेवा कैथल नरवाना आदि । ** ॐ **

गीता ज्ञान - 20

गीता बता रहा है :----
● क्यों इधर - उधर देख रहे हो , क्यों नहीं उसे देखते जहां तेरा अगला कदम पढनें वाला है ?
● जितना समय औरों को परखनें में गवा रहे हो , उसका एक अंश भी अगर स्वयं को समझनें में लगानें का अभ्यास कर लो , तो तेरी भटकन रुक सकती है ?
● तुम्हारी नज़र तुमको झोखा देती है , क्या तुम समझते हो ?
● तुम कहाँ - कहाँ नहीं भटके लेकिन पाए क्या ?
● यहाँ कुछ पाना नहीं है , खोना ही खोना है पर खोनें को तैयार कौन है ?
● हम प्रभु को पकड़ना चाह रहे और भाग रहे हैं द्वारका से पूरी तक , काशी से मानसरोवर तक लेकिन यह भूल चुके हैं की बाहर का प्रभु अनेक रूपों में है पर अपनें ह्रदय में जो प्रभु है , वह तो एक ही है ।
● प्रभु को तुम गुलाम बनाना चाह रहे हो , पर स्वयं को उसका गुलाम बनाना स्वीकारते नहीं ।
● भागो जितना भागना है , कर लो सारी धरती अपने कव्जे में लेकिन याद रखो , अंत समय में जब जाएगा तो तेरे पास वह न होगा जिसे तुम पकड़ रखे हो , जिसे तुम सीनें से चिपका रखे हो , अपितु वह होगा जिसके प्रति तुम बेहोश हो ।
~~~ ॐ ~~~

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