Friday, July 31, 2015

गीता के मोती - 45

कैसे मनुष्य स्वयं का मित्र और शत्रु होता है ?
इस प्रश्न का उत्तर मिलता है
तब
जब गीता के 700 श्लोकों की धाराओं में
तैरनें के बाद
समभाव स्थिति में मन - बुद्धि
पहुँचते हैं , तब ।।
~~ॐ ~~

Wednesday, July 29, 2015

गीत के मोती -44

गीता श्लोक :14.5
" तीन गुण (सात्त्विक , राजस और तामन आत्मा को देह में बाध कर रखते हैं । :

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