गुण और आत्मा
प्राणी के देह में जीवात्मा को छोड़ अन्य जो है , वह सब माया है । माया क्या है ? तीन गुणों का माध्यम , माया है ।
तीन गुणों को देह में जीवात्मा को बाध कर रखते हैं , ऐसी बात गीता - 14.5 में कहा जा रहा है ।
तीन गुणों से परे जो है , वह मायापति से एकत्व स्थापित कर सकता है , ऐसी बात भागवत पुराण में कही गयी है । लेकिन गुणातीत होने पर देह में जीवात्मा कैसे रुकती होगी ? यह बात सोचनीय है ।
परमहंस रामकृष्ण जी कहते हैं , मायामुक्त ब्यक्ति एक माह से अधिक समय तक अपनीं देह के साथ नहीं रह सकता ।
।।ॐ ।।