अष्टांगयोग के 08 अंगों में से आखिरी 03 अंग धारणा , ध्यान और समाधि हैं ।
महर्षि पतंजलि के शब्दों में इन तीन अंगों की परिभाषाओं को देखें और समझें।
ऋषि के शब्दों से निर्मल सात्त्विक ऊर्जा का विकिरण होता होता रहता है जो जिज्ञासुओं को साधना की उच्च भूमियों में पहुंचने में सहयोग करते हैं ।