<> योगी कौन है ?
# गीता - 5.23 में प्रभु इस इस प्रश्नके सम्वन्ध में कहते हैं ,
" काम - क्रोधके बेगको सहन करनें में जो समर्थ है ,वह
योगी है ।"
~ अर्थात ~
" योगी काम - क्रोधका गुलाम नहीं "
# काम - क्रोध क्या हैं ? #
** इस सम्बन्ध में प्रभु गीता - 3.37 में कहते हैं ,
" कामः एषः क्रोधः एषः रजोगुणसमुद्भवः "
~ अर्थात ~
* रजो गुणका तत्त्व , काम है और क्रोध काम का ही रूपांतरण होता है ।
# अब आप सोचें कि : ----
> प्रभूकी बात कितनी स्पष्ट है ? <
> प्रभुका वचन पूर्ण रूप से संदेह रहित एवं निर्मल है ।
# योग-साधन में काम-साधना कई चरणों में की जाती है जिसका प्रारम्भ बिषय से होता
है ।
> तंत्र में कुल 64 योग विधियाँ हैं जो स्वाधिस्थान चक्र पर केन्द्रित उर्जाको ऊपर की और उठाती हैं और काम उर्जाका रुख नीचे से ऊपरकी ओर करती हैं ।
> बिषय - इन्द्रिय सम्वन्धको गहराई समझना काम में वैराग्य उत्पन्न करता है ।
~~ ॐ ~~