कैसे मनुष्य स्वयं का मित्र और शत्रु होता है ?
इस प्रश्न का उत्तर मिलता है
तब
जब गीता के 700 श्लोकों की धाराओं में
तैरनें के बाद
समभाव स्थिति में मन - बुद्धि
पहुँचते हैं , तब ।।
~~ॐ ~~
Friday, July 31, 2015
गीता के मोती - 45
Wednesday, July 29, 2015
Subscribe to:
Posts (Atom)