कैसे मनुष्य स्वयं का मित्र और शत्रु होता है ? इस प्रश्न का उत्तर मिलता है तब जब गीता के 700 श्लोकों की धाराओं में तैरनें के बाद समभाव स्थिति में मन - बुद्धि पहुँचते हैं , तब ।। ~~ॐ ~~
No comments:
Post a Comment