Sunday, December 1, 2019

कर्म कैसे होता है ?

कर्म क्या है ?भाग - 2

यहाँ देखिये कि मनुष्य अच्छा - बुरा कर्म कैसे और क्यों करता है ?

कर्म क्या है

कर्म की परिभाषा क्या है ?

Wednesday, August 28, 2019

Tuesday, August 13, 2019

योग क्या है ?

दुःख उत्पन करने के तत्त्वों का निर्मूल जो करे , वह योग है।
बुद्ध का सारा दर्शन गीता के एक श्लोक में समाया हुआ हैं।
।। ॐ ।।

Wednesday, July 24, 2019

गीता आधारित मन रहस्य भाग - 2

गीता आधारित मन रहस्य भाग - 2


Tuesday, July 23, 2019

गीता आधारित मन रहस्य भाग - 1

गीता दर्पण

यहाँ गीता आधार पर मन को बुद्धि स्तर पर समझते हैं .
इन दो स्लाइड्स को दर्पण बनाकर मन की गीता आधारित तस्बीर को देखते हैं ।
// ॐ //



Wednesday, July 10, 2019

भक्ति , अनंतकी एक यात्रा है

भक्ति

भक्ति एक सहज यात्रा है , अनंतकी , जिसपर 
चलने वालों की भीड़ है , लेकिन ...
अनंतसे एकत्व स्थापित करने वाले , 
दुर्लभ हैं !
क्योंकि साकार ( अपरा ) भक्ति तक ही लोग सीमित रह जाते हैं ,जबकि ...
अपार , परा का द्वार है ।
साकार भक्तिकी सिद्धतासे परा भक्तिमें प्रवेश मिलता है जहाँ
अनंतसे एकत्व स्थापि हो जाता है और..
ऐसा भक्त ही....
परम हंस रामकृष्ण , आदि गुरु श्री नानकजी साहिब जैसे होते हैं ।
// राधे - राधे //

Saturday, July 6, 2019

गीता - यात्रा

श्रीमद्भगवद्गीता और हम

श्रीमद्भगवद्गीता एक सहज माध्यम है ...
जिसका यात्री धीरे - धीरे भोग से योग में पहुँच कर ब्रह्मवित् बन जाता है । ब्रह्मवित् अर्थात ब्रह्म में बसेरा बन जाना ।
देखिये नीचे स्लाइड को.... 🐧


Friday, June 28, 2019

गुण - आत्मा सम्बंध

गुण और आत्मा

प्राणी के देह में जीवात्मा को छोड़ अन्य जो है , वह सब माया है । माया क्या है ? तीन गुणों का माध्यम , माया है ।
तीन गुणों को देह में जीवात्मा को बाध कर रखते हैं , ऐसी बात गीता - 14.5 में कहा जा रहा है ।
तीन गुणों से परे जो है , वह मायापति से एकत्व स्थापित कर सकता है , ऐसी बात भागवत पुराण में कही गयी है । लेकिन गुणातीत होने पर देह में जीवात्मा कैसे रुकती होगी ? यह बात सोचनीय है । 
परमहंस रामकृष्ण जी कहते हैं , मायामुक्त ब्यक्ति एक माह से अधिक समय तक अपनीं देह के साथ नहीं रह सकता ।
।।ॐ ।।

Tuesday, June 25, 2019

वैराग्य की लहर

वैराग्य 


भोग बंधनोंके प्रति उठा होश , ज्ञानका श्रोत होता है । ज्ञान प्रकृति - पुरुष बोध माध्यमसे वैराग्यमें पहुँचाता है जहाँ भक्ति लहरमें 
सबमें परमात्मा और परमात्मामें सब दिखनें लगते हैं जिसे पूर्ण वैराग्यकी स्थिति कह सकते हैं।
// ॐ //  

Sunday, June 16, 2019

कर्मबोध - 3

कर्मयोग

जो कर्म बिना आसक्ति हो रहा हो , वह कर्म , कर्मयोगी के होते हैं ।

Monday, May 20, 2019

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