भारत वैदिक युग से [रिग-वेद१७००-१००० ईशा पूर्व ] से चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य [सन ५०० ईशा बाद ] तक विश्व में वैज्ञानिक विचारों को दिया लेकिन बाद में क्या होगया ?
वैदिक गणित के रूप में सुल्बा-सूत्रों को विश्व के सामनें 800-200 BCE में दिया।
जैन-गणित उपलब्ध था 400 BCE में ।
200 BCE में वैशेशिका के माध्यम से कण-विज्ञानं दिया गया ।
200 BCE में पतंजलि अपनें योग-सूत्रों में बताया- मनुष्य के शरीर में हल्का विद्युत - क्षेत्र है जो की आधुनिक
विज्ञानं का एक अहम् सूत्र है।
पाणिनि जी 500 BCE में कुछ अति असाधारण गणितीय सूत्रों को दिया ।
आर्यभट 500 CE में अपने आर्यभाटिया में कोस्मोलोगिकल मॉडल के साथ कहा की पृथ्वी अपने केंद्र के चारों
तरफ घुमती है । आर्यभट गणित में पाईको स्पष्ट किया - अर्थात he explained the relation between circumference and the diameter of a circle as 3.1416 and said that pai is an irrational number. This concept was proved in1761 by Lambart.
आर्य भट्ट 23 वर्ष की उम्र में कई गणतीय बातें बतायी ।
सन 830 के आस-पास इनकी किताब को अरबी में अनुबाद किया गया जो धीरे-धीरे अरब से पश्चिम में पहुँच
गयी।
चन्द्रगुप्त मौर्य [322-298 BCE] में अर्थ शास्त्र विश्व का पहला अर्थ शास्त्र था और उस समय मुद्रा का चलन हुआ ।
वैशेशिका [200 BCE ] में एटम के सम्बन्ध में आइन्ताइन-बोहर सिद्धांत दिया गया है ।
यह सब होते हुए भी भारत क्यों पिछड़ गया ?
आप को सोचना चाहिए ।
=====ॐ=======
Thursday, June 4, 2009
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bhut achchhi jankari di aapne
ReplyDeleteइस सिक्के का दूसरा पहलू भी है अगर मुग़ल और ब्रिटिश राज्य न आये होते तो आज भी हम भारत को विकासशील देश न कह पते और आज भी इक्के और टाँगे पर सवारी कर रहे होते
ReplyDeleteभाई मेरे बारात २०२० तक विकसित देश कहलाये गा ऐसी आशा है तो हम पीछे कहाँ है
वीनस केसरी
शर्मा जी छमा करे मैंने टिप्पडी करते समय आपकी प्रोफाइल नहीं देखी थी इसलिए आपको "भाई मेरे" का संबोधन दे बैठा आप तो मेरे पिता की उम्र के है
ReplyDelete(बारात को भारत पढ़े)
वीनस केसरी