अध्याय के अगले सूत्र
सूत्र –5.21
वह जो इन्द्रिय – सुख से सुखी न् हो कर प्रभु के सुइरण से सुखी होता है , ज्ञानी होता है //
यहाँ देखिये इस सूत्र को भी-----
सूत्र –2.69
या निशा सर्व भूतानां तस्यां जागर्ति संयमी/
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनै: //
वह जो सब के लिए रात्री के सामान है वह योगी का दिन है
वह जो सब का दिन है वह योगी की रात्रि है //
अर्थात
भोग योगी के पीठ की तरफ होता है और उसकी आँखें प्रभु पर टिकी होती हैं //
सूत्र –5.22
इन्द्रिय – सुख दुःख का कारण है और क्षणिक होता है//
यहाँ गीता सूत्र – 2.14 को भी देखें जो सूत्र – 5.22 की बात को कह्ता है //
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीत – उष्ण सुख – दुःख दा: /
आगम अपायिन:अनित्या:तान् तितिक्षस्व भारत//
गीता- 2.14
यहाँ गीता का एक और सूत्र देखते हैं-------
सूत्र –18.38
इन्द्रिय – बिषय सहयोग से जो सुख मिलाता है उस सुख में दुःख का बीज होता है //
===== ओम =======
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