गीता अध्याय –05का अगला सूत्र
सूत्र –5.23
काम और क्रोध के प्रति उठा होश मनुष्य को सुखी बनाता है//
सूत्र –5.26
काम – क्रोध के सम्मोहन से अप्रभावित रहता है उसका जीवन मुक्ति की ओर बढ़ता है//
सूत्र –16.21
काम,क्रोध और लोभ नर्क के द्वार हैं//
सूत्र –3.37
काम – क्रोध एक ऊर्जा के दो रूप है जो राजस गुण की ऊर्जा है//
सूत्र –5.24
अंतर्मुखी स्वकेंद्रित ज्ञानी ब्रह्म – योगी निर्वाण प्राप्त करता है//
काम,क्रोध एवं लोभ राजस गुण के तत्त्व हैं और मोह,भय तामस गुण के तत्त्व हैं/अहंकारअपरा प्रकृति का एक अहम तत्त्व है जो तामस गुण – तत्त्वों के साथ नकारात्मक रहता है और राजस् गुणों के तत्त्वों के साथ यह परिधि पर धनात्मक होता है और दूर से दिखा भी है/
गीता कहता है-----
गुणातीत का आखिरी द्वार निर्वाण है//
======ओम========
No comments:
Post a Comment