Saturday, August 6, 2011

गीता अध्याय पांच भाग इग्यारह

गीता अध्याय पांच भाग –11

गीता सूत्र –5.18

यहाँ प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं --------

अर्जुन ! समदर्शी ज्ञानी होते हैं //

Here Lord Krishna says , whose who are settled in evenness – yoga they are men of wisdom .


यहाँ निम्न सूत्र को भी देखें ------

सूत्र –5.19

समत्त्व – योगी ब्रह्म समान होता है //

Yogin of evenness – yoga is like the Supreme Brahman .


अब देखिये निम्न सूत्र को -----

सूत्र –5.17

यहाँ प्रभु कहते हैं … ....

ज्ञानी तन , मन एवं बुद्धि से निर्विकार होता है और प्रभु में निवास करता है //


अब अगला सूत्र ----

सूत्र –5.20

प्रभु कह रहे हैं -------

प्रिय – अप्रिय , उचित – अनुचित , अच्छा - बुरा जैसे सभीं द्वंदों से अछूता जो हो , वह

स्थिर प्रज्ञ – योगी ब्रह्म में ही होता है //


गीता के सूत्र आप को किधर से किधर की ओर ले जाना चाह रहे हैं ? ज़रा अपनीं आँखों को बंद

करके सोचें , आप उस ओर कभीं भी नहीं जाना चाहेंगे जिधर गीता आप को खीच रहा है //

You try to understand , what is choice less awareness ?

Choice less awareness is not a process , it is not an act it is the result of deep meditation .

Meditation does not give anything , it brings in a space where absolute truth is experienced .

Truth is a pathless journey and only very few people travel through it on meditation – vehicle .


Absolute Brahman or formless absolute is not an object it is a space of mind – intelligence where

absolute serenity becomes like a mirror on which something appears which is inexpressible.


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