गीता अध्याय पांच भाग –11
गीता सूत्र –5.18
यहाँ प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं --------
अर्जुन ! समदर्शी ज्ञानी होते हैं //
Here Lord Krishna says , whose who are settled in evenness – yoga they are men of wisdom .
यहाँ निम्न सूत्र को भी देखें ------
सूत्र –5.19
समत्त्व – योगी ब्रह्म समान होता है //
Yogin of evenness – yoga is like the Supreme Brahman .
अब देखिये निम्न सूत्र को -----
सूत्र –5.17
यहाँ प्रभु कहते हैं … ....
ज्ञानी तन , मन एवं बुद्धि से निर्विकार होता है और प्रभु में निवास करता है //
अब अगला सूत्र ----
सूत्र –5.20
प्रभु कह रहे हैं -------
प्रिय – अप्रिय , उचित – अनुचित , अच्छा - बुरा जैसे सभीं द्वंदों से अछूता जो हो , वह
स्थिर प्रज्ञ – योगी ब्रह्म में ही होता है //
गीता के सूत्र आप को किधर से किधर की ओर ले जाना चाह रहे हैं ? ज़रा अपनीं आँखों को बंद
करके सोचें , आप उस ओर कभीं भी नहीं जाना चाहेंगे जिधर गीता आप को खीच रहा है //
You try to understand , what is choice less awareness ?
Choice less awareness is not a process , it is not an act it is the result of deep meditation .
Meditation does not give anything , it brings in a space where absolute truth is experienced .
Truth is a pathless journey and only very few people travel through it on meditation – vehicle .
Absolute Brahman or formless absolute is not an object it is a space of mind – intelligence where
absolute serenity becomes like a mirror on which something appears which is inexpressible.
===== ॐ =======
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