गीता अध्याय - 03
परिचय- इस अध्याय में तीन अर्नुज के और चालीस प्रभु श्री कृष्ण के श्लोक हैं
- इस अध्याय में अर्जुन के दो प्रश्न हैं :
[ क ]
कर्म से उत्तम यदि ज्ञान है तो आप मुझे इस युद्ध रूपी घोर कर्म में क्यों उतारना चाह रहे हैं ?
[ ख ]
- मनुष्य न चाहते हुए भी पाप क्यों करता है ?
- इस अध्याय में कुल 22 ध्यान सूत्र हैं :
[1 ] काम [ sex energy ] सम्बंधित सूत्र संख्या = 07
[ 2 ] इंद्रिय - बिषय सम्बंधित सूत्र = 04
[ 3 ] कर्म एवं तीन गुण सबंधित सूत्र = 10
[ 4 ] आत्मा केंद्रित योगी से सम्बंधित सूत्र = 01
[ 1 ] काम [ sex energy ] सम्बंधित सूत्र
सूत्र - 3.37 से 3.43 तक
गीता में प्रभु इन सूत्रों के माध्यम से क्या कह रहे हैं ?
प्रभु कह रहे हैं -----
- काम और क्रोध एक ऊर्जा के दो रूप हैं और उस ऊर्जा का नाम है राजस गुण
- जैसे धुएं से अग्नि , जेर से गर्भ और मेल से दर्पण ढक जाता है वैसे काम के प्रभाव में ज्ञान को अज्ञान ढक लेता है
- काम भोग से तृप्त नहीं होता
- काम का सम्मोहन इंद्रिय , मन एवं बुद्धि पर रहता है
- काम से अप्रभावित ब्यक्ति आत्मा केंद्रित होता है
आज इतना ही
=== ओम् ====
No comments:
Post a Comment