Wednesday, February 6, 2013

गीता ज्ञान - 10

गीता अध्याय - 03 

परिचय 


  1. इस अध्याय में तीन अर्नुज के और चालीस प्रभु  श्री कृष्ण के श्लोक हैं 
  2. इस अध्याय में अर्जुन के दो प्रश्न हैं :

[ क ] 
कर्म से उत्तम यदि ज्ञान है तो आप मुझे इस युद्ध रूपी घोर कर्म में क्यों उतारना चाह रहे हैं ?
[ ख ] 

  • मनुष्य न चाहते हुए भी पाप क्यों करता है ?
  • इस अध्याय में कुल 22 ध्यान सूत्र हैं :

[1 ] काम [ sex energy ] सम्बंधित सूत्र संख्या         = 07 
[ 2 ] इंद्रिय - बिषय सम्बंधित सूत्र                          = 04
[ 3 ] कर्म एवं तीन गुण सबंधित सूत्र                       = 10
[ 4 ] आत्मा केंद्रित योगी से सम्बंधित सूत्र               = 01

[ 1 ] काम [ sex energy ] सम्बंधित सूत्र 

सूत्र - 3.37 से 3.43 तक 
गीता में प्रभु इन सूत्रों के माध्यम  से क्या कह रहे हैं ?
प्रभु कह रहे हैं -----

  • काम और क्रोध एक ऊर्जा के दो रूप हैं और उस ऊर्जा का नाम है राजस गुण 
  • जैसे धुएं से अग्नि , जेर से गर्भ और मेल से दर्पण ढक जाता है वैसे काम के प्रभाव में ज्ञान को अज्ञान ढक लेता है 
  • काम भोग से तृप्त नहीं होता 
  • काम का सम्मोहन इंद्रिय , मन एवं बुद्धि पर रहता है 
  • काम से अप्रभावित ब्यक्ति आत्मा केंद्रित होता है 

आज इतना ही 

=== ओम् ====

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