मन
प्रभु श्री कृष्ण कह रहे हैं ::" इन्द्रियाणाम् मनः च अहम् "
गीता - 10.22
और
भागवत कह रहा है :
[क] " संसार मन का विलास है "
भागवत - 11.13.1
[ख] " मन की 11 बृत्तियां हैं - 10 इन्द्रियाँ + अहँकार
भागवत - 5.11
[ग] Max Planck [ 1918 - Noble Prize ] कहते हैं :
" Mind is the matrix of matters "
- मनुष्य का जीवन मन आधारित है
- जो ---
- भोग में रमाता है ...
- भोग में वैराज्ञ दिखाता है ....
- वैराज्ञ में संसार को अद्वैत के फैलाव स्वरु पहै, यह बात समझाता है ....
- और ---
- फिर धीरे से परम गति की ओर चला कर स्वयं लुप्त हो कर ....
- यात्री को द्रष्टा बना देता है /
=== ओम् ====
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