Tuesday, July 2, 2013

गीता ज्ञान - 22

काल को समझो 

गीता - 10.30 

" कालः कलयताम् अहम् " 
प्रभु कह रहे हैं 

गीता - 11.32

" कालः अस्मि लोकक्षयंकृत् प्रबृत्त: "
प्रभु कह रहे हैं 

भागवत कह रहा है :----

1.13.20:

कालके बशीभूत होकर जीव का अपनें प्रियतम प्राण से भी वियोग होजाता है 

2.1.33 :

काल प्रभु की चाल है 

3.10.11

बिषयों का रूपांतरण काल का आकार है 

6.5.19

काल चक्र है , जो निरन्तर घूम रहा है और ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाओं को अपनी ओर खीच रहा है 

>> अब आप काल [ समय को समझनें का यत्न कर सकते हैं

* समय एक दूसरे से मिलाता है 
* समय एक दूसरे से अलग करता है 
* समय रुलाता है और हसाता है 
* समय सम्राट बनाता है और भिक्षुक भी बनाता है 

याद रखो 

समय सभीं को एक दूसरे से दूर कर रहा है और हम दूर होना नहीं चाहते 
मनुष्य समय से संघर्ष कर रहा है 
दर्शन का काल और विज्ञान का Dark matter or Dark - energy ये  एक दूसरे के सहयोगी हैं /

=== ओम् ====



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