Saturday, January 11, 2014

गीता मोती - 15

● रोज देख रहे हो लेकिन ... ? भाग - 1
<> मंदिर त्रिवेणी हैं , जहाँ तीन प्रकारकी उर्जायें बह रही हैं , एक मंदिर के गर्भ गृहके मध्य स्थित मूर्ति से विकिरण द्वारा फ़ैल रही परम सनातन प्राणमय उर्जा है जो मंदिर के द्वार पर टंग रहे घंटेके माध्यम से सभीं दिशाओं में फ़ैल रही है । दूसरी उर्जा उन ब्यक्तियों की होती है जो मंदिर में प्रवेश करते हैं । तीसरी उर्जा उनकी होती है जो मंदिर में प्रवेश कर्ताओं के आश्रित हैं और मंदिर के बाहर खड़े रहते हैं । जो मंदिर के बाहर खड़े हैं ,जिनको भिखारी कहा जता है , उनको मंदिरके अन्दर स्थित मूर्ति से कुछ लेना -देना नहीं ,उनको मंदिर में प्रवेश करनें वालों से भी कोई ख़ास प्रयोजन नहीं होता ,उनकी पूरी उर्जा उस बस्तु पर टिकी होती है जो मंदिर में प्रवेश कर्ताओं के हांथों में दान के लिए होती हैं । मंदिर दो भिखारियों और एक सनातन उर्जाका त्रिवेणी है ।
* मंदिर के अन्दर और बाहर दोनों तरह भिखारी हैं ,मंदिरके अन्दर प्रवेश कर्ता पत्थर की मूर्ति से वह मांग रहा है जिसे वह अभीं प्राप्त करनें की चाह में है । मंदिरके बाहर जो खड़े हैं ,जिनके हांथोंमें भिक्षा पात्र लटक रहे हैं ,वे जो मंदिर से बाहर निकल रहे हैं उनसे वह मांग रहे हैं जो इनको उनके हांथों में दिख रहा है , हैं दोनों भिखारी ।
* दो भिखारियों और एक ओंकार की त्रिवेणी हैं हमारे मन से निर्मित मंदिर ।
~~~ॐ ~~~

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