Sunday, January 26, 2014
गीता मोती - 16
●गीता मोती - 16 ●
<> गीता श्लोक - 3 3 <>
लोके अस्मिन् द्विविधा निष्ठा
पूरा पोक्ता मया अनघ ।
ज्ञानयोगेन सांख्यानाम्
कर्म योगेन योगिनाम् ।।
** प्रभु श्री कृष्ण कह रहे है - ----
साधना करनेंके प्रारम्भिक मार्ग दो हैं , ज्ञान और कर्म ; ज्ञान सांख्यमें आस्था रखनें वालों के लिए है और अन्य के लिए कर्म मार्ग सरल मार्ग है ।
# क्या है सांख्य ? और क्या है कर्म ?
वह जो वुद्धि केन्द्रित है , उसके पास तर्क - वितर्क की गहरी पकड़ होती है ,ऐसे लोगोंके लिए सांख्य एक मजबूत माध्यम है ,साधनाका लेकिन यह मार्ग है कठिन और लम्बा पर कर्म मार्ग सरल और छोटा मार्ग हो सकता है ।
** कर्मका फल है भक्ति और भक्तिका फल है ज्ञान ,ज्ञान -वैराग्य एक साथ रहते हैं तथा वैराग्य प्रभुका द्वार है ।
** कर्म में कर्म बंधनोंको समझ कर बंधन मुक्त होना कर्म योग कहलाता है
~~~~ ॐ ~~~~
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