समाधि ( Trance ) एक अनुभूति है
(भाग - 01)
नरेन्द्रनाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद जी Jan.1863 - july 1902 ) , सन् 1881 - 82 में कोलकाता स्कॉटिश चर्च कॉलेज में F. A . ( 11 - 12 वीं ) के विद्यार्थी थे । उनके अध्यापक Mr . william Hostie , William Wordsworth की कविता excursion में trance ( समाधि ) शब्द का अर्थ स्पष्ट कर रहे थे । इस संदर्भ में वे समाधि ( trance) शब्द की परिभाषा निम्न प्रकार दिए थे ⤵️
" A half conscious state characterized by an absence of response to external stimuli , typically as induced by hypnosis or entered by a medium . "
“ सम्मोहन जैसी अर्ध चेतन अवस्था जिसमें आने के बाद शरीर शुन्यावस्था में बाहरी क्रियाओं के प्रति संवेदनशून्य हो गया हो ,, उस अवस्था को समाधि कहते हैं “
साधारण भाषा में समाधि में साधक का स्थूल शरीर शुन्यावस्था में होता है जो अपनें ऊपर बाहर से होने वाली क्रियाओं के प्रति संवेदनशील नहीं रहता ।
Mr . समाधि के संबंध में Mr william Hostie आगे कहते हैं , यदि तुम सब trance शब्द को ठीक से समझना चाहते हो तो दक्षिणेश्वर मंदिर जाओ और वहां रामकृष्ण को देखो जिन्हें दिन में कई बार समाधि लगती रहती है । यहां ध्यान में रखना होगा कि परमहंस जी 1886 में देह त्याग दिए थे । नरेंद्र नाथ ( विवेकानंद ) वहां गए लेकिन रामकृष्ण से प्रभावित नहीं हुए और लौट आए ।
स्वामी विवेकानंद से संबंधित इस घटना के संबंध में अभीं इतना ही , लेकिन इस आधार पर समाधि के संबंध में पतंजलि योग सूत्र दर्शन में व्यक्त समाधि को समझने की कोशिश में हम आगे बढ़ते हैं ।
पतंजलि योग दर्शन में निम्न तीन समाधियों के संबंध में प्रकाश डाला गया है ….
1- संप्रज्ञात समाधि ( विभूतिपाद सूत्र - 3 )
2- असंप्रज्ञात समाधि ( समाधिपाद सूत्र : 51 )
3- धर्ममेघ समाधि ( कैवल्यपाद सूत्र - 29 )
अभीं इन समाधियों के संबंध में में विचार नहीं करते लेकिन आगे के अंकों में इन समाधियों को देखा जा सकेगा । अभीं हम स्थूल रूप में समाधि को समझने की कोशिश करते हैं । मंत्र जप , नाम जप , ध्यान , सुमिरन , पूजा , पाठ , हवन , यज्ञ , अष्टांगयोग अभ्यास , हठ योगाभ्यास आदि जैसी साधनाओं स्थूल लक्ष्य समाधि सिद्धि का होता है । जब साधक को एक बार समाधि लग जाय फिर वह इस समाधि के लिए कस्तूरी मृग जैसा हो जाता है और यही चाहता है कि उसे समाधि से बाहर न आना पड़े । आखिर समाधि में उसे ऐसा क्या मिलता होगा कि उसे उसे बार - बार पाने के लिए वह बेचैन रहने लगता है !
अगले अंक में समाधि की इस यात्रा के अगले दृश्य को देखेंगे , अभीं इतना ही ।
~~ ॐ ~~
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