गीता अध्याय - 04
[ ख ] योग – सूत्र
अगले सूत्र
अभीं सूत्र – 4.35 के सम्बन्ध में हम गीता के कुछ सूत्रों को देख रहे हैं और यहाँ इस सम्बन्ध में
कुछ और सूत्रों को देखते हैं … ....
सूत्र 2.52
मोह के साथ वैराज्ञ का होना संभव नहीं
सूत्र10.3
मोह रहित ब्यक्ति प्रभु को तत्त्व से समझता है
सूत्र 4.37
मोह समाप्ति पर ज्ञान की किरण फूटती है
सूत्र4.38
योग सिद्धि से ज्ञान मिलता है
सूत्र 4.41
ज्ञान से कामना का उठाना समाप्त हो जाता है
सूत्र4.42
संदेह अज्ञान की पहचान है
गीता के06सूत्र बता रहे हैं-------
मोह,संदेह,कामना आदि अज्ञान के तत्त्व हैं उनको एक – एक करके जो समझना चाहते हैं
वे समझ तो सकते नहीं उनमें अहंकार और सघन हो जाता है/
ज्ञान की किरण जब फूटती है तब गुण तत्वों का स्वतः उठाना समाप्त हो जाता है/
ज्ञान,मन – बुद्धि में बहती निर्विकार ऊर्जा का पहचान है/ज्ञान किताबों से नहीं मिलता
यह चेतना की बूंदों से बुद्धि को मिलता है;चेतना की बूंदे ध्यान पकनें पर टपकती हैं/
=====ओम======
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