गीता अध्याय –04
अध्याय के अगले सूत्र
सूत्र –4.20 , 4.21 , 4.22 , 4.23
सूत्र कहते हैं …...
आसक्ति,कामना,कर्म – फल की चाह रहित संभव में स्थित कर्म – योगी गुणों से अछूता
ज्ञानी होता है//
अब एक – एक सूत्र को देखते हैं------
सूत्र- 4.20
आसक्ति एवं कर्म फल की चाह जिस कर्म में न हों वह कर्म करनें वाला कर्म – योगी होता है//
सूत्र –4.21
केवल जीवन निर्वाह के लिए कर्म फल की चाह न रखते हुए कर्म करनें वाला पाप से अछूता
रहता है//
सूत्र –4.22
समत्व – योगी कर्म – बंधनों से मुक्त रहता है//
सूत्र –4.23
कर्म बंधनों से मुक्त चेतन ह्रदय वाला ज्ञानी जो भी करताहै वह यज्ञ होता है//
Here Gita says ….....
Acton without attachment , desire , passion , delusion and ego makes one Karma – Yogi who
is in wisdom and whatever he does is Yagya .
====ओम====
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