Wednesday, June 1, 2011

गीता अध्याय –04

अध्याय के अगले सूत्र

सूत्र –4.20 , 4.21 , 4.22 , 4.23


सूत्र कहते हैं …...

आसक्ति,कामना,कर्म – फल की चाह रहित संभव में स्थित कर्म – योगी गुणों से अछूता

ज्ञानी होता है//

अब एक – एक सूत्र को देखते हैं------

सूत्र- 4.20

आसक्ति एवं कर्म फल की चाह जिस कर्म में न हों वह कर्म करनें वाला कर्म – योगी होता है//

सूत्र –4.21

केवल जीवन निर्वाह के लिए कर्म फल की चाह न रखते हुए कर्म करनें वाला पाप से अछूता

रहता है//

सूत्र –4.22

समत्व – योगी कर्म – बंधनों से मुक्त रहता है//

सूत्र –4.23

कर्म बंधनों से मुक्त चेतन ह्रदय वाला ज्ञानी जो भी करताहै वह यज्ञ होता है//


Here Gita says ….....

Acton without attachment , desire , passion , delusion and ego makes one Karma – Yogi who

is in wisdom and whatever he does is Yagya .


====ओम====


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