Monday, January 14, 2013

गीता ज्ञान - 07

क्षेत्र की रचना 

[ जीव के देह की रचना ] 

गीता श्लोक - 13.5 - 13.6

महाभूतानि अहंकार : बुद्धिः अब्यक्तम् एव च /
इन्द्रियाणि दश एकं च पंच च इंद्रियगोचरा : //

इच्छा द्वेष : सुखं दुःखम् संघात चेतना धृतिः /
एतत् क्षेत्रं समासेन सविकारम् उदाहृतम्     //

" पांच महाभूत [ पृथ्वी ,जल , वायु ,अग्नि , आकाश ] , मन , बुद्धि , अहँकार , दश इन्द्रियाँ , पांच इंद्रिय बिषय , इच्छा , द्वेष , सख - दुःख , धृति , स्थूल देह का पिण्ड के अन्य तत्त्व , सभीं विकार एवं ----
चेतना - अब्यय से इस क्षेत्र की रचना की बात कही गयी है "

यह बात अर्जुन को प्रभु श्री कृष्ण उस बात को बता  रहे हैं जिसकी चर्चा ब्रह्म सूत्र एवं वेदों में की गयी है / 
इस सम्बन्ध में आप पहले गीता श्लोक - 9.10 , 13.20 , 7.4 - 7.6 तक को देख चुके हैं / 

इस सम्बन्ध में गीता की कुछ और बातों को हम अगले अंक में देखेंगें //

==== ओम् =====


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