Wednesday, October 16, 2013

उसे देखना चाह रहे हो ?

● गीता मोती - 6 ● 
* मनुष्य - परमात्मा * 
मनुष्य परमात्माको कैसे समझना चाह रहा है , देखिये एक झलक उन दृश्योंका जिनके माध्यमसे मनुष्य परमात्माको समझ रहा है। ** महाकालके रूपमें शिवके एक विशेष रूप जो भय का प्रतिक है , उसके माध्यम से मनुष्य प्रभुको समझना चाह रहा है ।
 ** काली माँ दुर्गाके भयानक रूपमें भय माध्यमसे प्रभुको मनुष्य समझ रहा है । 
** कन्हैया श्री कृष्णके बाल रूप यशोदाके वात्सल्य प्यार माध्यमसे मनुष्य प्रभुको समझ रहा है ।
 ** महाभारतके श्री कृष्ण चक्रधारीके रूपमें परम शक्तिधरके रूपमें मनुष्य प्रभुको समझ रहा है ।
 ** राधाके कृष्ण रागरूपमें प्रभुको मनुष्य समझ रहा है । 
** धनुषधारी मर्यादा पुरुषोत्तमके रूप में श्री रामके रूप में मनुष्य प्रभुको समझ रहा है । 
** परशुराम रूपमें क्रोध माध्यम से मनुष्य प्रभुको समझ रहा है । और ---
 ° फूलोंके सुगंध और कोमलता में प्रभु को मनुष्य खोज रहा है ।
 ° तितिलियोंके विभिन्न रंगों और उनकी बनावटमें मनुष्य प्रभुको समझाना चाह रहा है। 
° चन्दनकी मादक गंधमें प्रभुको मनुष्य देखना चाह रहा है ।
 और --- 
^ तत्त्व दर्शी परम शून्यतामें प्रभुकी छाया देखना चाहते हैं ।
 ^ मायापतिको मायासे परे पहुँच कर देखना चाहते हैं ।
 ^ एक ओंकारमें प्रभुकी आवाज सुनना चाहते हैं । 
<> बहुत कम लोग ऐसे हैं जो स्वयं में प्रभुके आगमनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। 
<> बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनको अपनें घर के छोटे - छोटे किलकारियां भरते हुए बच्चों में प्रभु को देखनें की जिज्ञासा हो । <> बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनको अपनें माँ - पितामें प्रभु झाँकता हुआ दिखता हो ।
 <> ● <> 
 * भाग लो जितना भागना हो --- 
* चाह लो जितना चाहना चाहते हो ---
 * सोच लो जितना सोचना चाहते हो ---
 कुछ न होगा लेकिन --- 
जब तुम अपनें मन पर पड़े धब्बोंको साफ़ कर लोगे तब -- 
°° आपको उसके बारेमें सोचना नहीं पड़ेगा , वह आपमें ही अवतरित हो उठेगा ।
 ~~~ ॐ ~~~

No comments:

Post a Comment

Followers