* मनुष्य - परमात्मा *
मनुष्य परमात्माको कैसे समझना चाह रहा है , देखिये एक झलक उन दृश्योंका जिनके माध्यमसे मनुष्य परमात्माको समझ रहा है।
** महाकालके रूपमें शिवके एक विशेष रूप जो भय का प्रतिक है , उसके माध्यम से मनुष्य प्रभुको समझना चाह रहा है ।
** काली माँ दुर्गाके भयानक रूपमें भय माध्यमसे प्रभुको मनुष्य समझ रहा है ।
** कन्हैया श्री कृष्णके बाल रूप यशोदाके वात्सल्य प्यार माध्यमसे मनुष्य प्रभुको समझ रहा है ।
** महाभारतके श्री कृष्ण चक्रधारीके रूपमें परम शक्तिधरके रूपमें मनुष्य प्रभुको समझ रहा है ।
** राधाके कृष्ण रागरूपमें प्रभुको मनुष्य समझ रहा है ।
** धनुषधारी मर्यादा पुरुषोत्तमके रूप में श्री रामके रूप में मनुष्य प्रभुको समझ रहा है ।
** परशुराम रूपमें क्रोध माध्यम से मनुष्य प्रभुको समझ रहा है ।
और ---
° फूलोंके सुगंध और कोमलता में प्रभु को मनुष्य खोज रहा है ।
° तितिलियोंके विभिन्न रंगों और उनकी बनावटमें मनुष्य प्रभुको समझाना चाह रहा है।
° चन्दनकी मादक गंधमें प्रभुको मनुष्य देखना चाह रहा है ।
और ---
^ तत्त्व दर्शी परम शून्यतामें प्रभुकी छाया देखना चाहते हैं ।
^ मायापतिको मायासे परे पहुँच कर देखना चाहते हैं ।
^ एक ओंकारमें प्रभुकी आवाज सुनना चाहते हैं ।
<> बहुत कम लोग ऐसे हैं जो स्वयं में प्रभुके आगमनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
<> बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनको अपनें घर के छोटे - छोटे किलकारियां भरते हुए बच्चों में प्रभु को देखनें की जिज्ञासा हो ।
<> बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनको अपनें माँ - पितामें प्रभु झाँकता हुआ दिखता हो ।
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* भाग लो जितना भागना हो ---
* चाह लो जितना चाहना चाहते हो ---
* सोच लो जितना सोचना चाहते हो ---
कुछ न होगा
लेकिन ---
जब तुम अपनें मन पर पड़े धब्बोंको साफ़ कर लोगे तब --
°° आपको उसके बारेमें सोचना नहीं पड़ेगा , वह आपमें ही अवतरित हो उठेगा ।
~~~ ॐ ~~~
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