Wednesday, February 5, 2014

गीता मोती -16

ऐसा ही होता है
* जनक राजा निमि को योगीश्वर तत्त्व ज्ञान में ऐसी बात बताते हैं :---
#वायु पृथ्वी से उसका गुण गंध छीन लेती है और पृथ्वी जल में रूपांतरित हो जाती है ।
# वायु जलका गुण रस को चूस लेती है और जल अग्नि में रूपांतरित हो जाता है ।
# कालका रूप अंधकार अग्निके गुण रूप को छीन लेता है और अग्नि वायु में रुपांतरित हो जाती
है ।
# आकाश वायु से उसके गुण स्पर्श को छीन लेता है और वायु आकाश में समा जाती है ।
# काल आकाश से उसका गुण शब्द छीन लेता है और आकाश तामस अहंकार में रूपांतरित हो जाता
है ।
# # पृथ्वी ,जल ,वायु , अग्नि और आकाश ये पांच महाभूत अपनें मूल तामस अहंकार में रूपांतरित हो जानें के बाद :---
1- इन्द्रियाँ और बुद्धि अपनें मूल राजस अहंकार में लीन हो जाती हैं ।
2- मन अपनें मूल सात्त्विक अहंकार में समा जाता
है , और ----
# इस तरह पांच महाभूत , पांच बिषय ,मन और बुद्धि तीन अहंकारों में लुप्त हो जाते हैं , फिर ----
क - तीन अहंकार कालके प्रभाव में महतत्त्व में लुप्त हो जाते हैं और :---
ख - महतत्त्व ब्रह्म में लीन हो जाता है , तथा ----
ग- सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ब्रह्ममय होता है ।
++ सृष्टिके अंतका यह काल चक्र आपनें देखा । ब्रह्माण्डमें कोई दृश्य और द्रष्टा नहीं रहता और जो रहता है उसे ब्रह्म कहते हैं ।
::: ॐ :::

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