Saturday, December 15, 2012

गीता ज्ञान - 02

कुरुक्षेत्र में प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं :
" अर्जुन !  तुम कामना रहित मन - बुद्धि के साथ युद्ध कर "
कामना रहित स्थिति में मन  - बुद्धि का होना क्या है ?
साधना , योग , तप , सुमिरन और ध्यान , जितनें भी मार्ग हैं जो प्रभु से पहचान कराना चाहते हैं , उनका मात्रा एक लक्ष्य है और वह है , कामना रहित स्थित में मन - बुद्धि को पहुंचाना /
जब मनुष्य का मन - बुद्धि फ्रेम कामना रहित हो जाता है तब उस फ्रेम पर जो होता है उसे प्रभु कहते हैं और उसे देखनें वाले को चेतना /
चेतना वह है जिसके पास कोई ऐसा माध्यम नहीं की वह जो देख रही  है उसे अन्यों को बता सके /
चेतना जब प्रभु को देखती है त्योंही वह ब्यक्ति स्वयं प्रभु मय हो उठता है /
==== ओम् ====

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