●● गीताके मोती ( भाग - 01 ) ●●
1- गीता सूत्र - 2.60 > मन आसक्त इन्द्रियोंका गुलाम है ।
2- गीता सूत्र - 2.67 > प्रज्ञा आसक्त मन का गुलाम है ।
3- गीता सूत्र -3.6 > हठसे इन्द्रियोंका नियंत्रण करना दम्भी बनाता है ।
4- गीता सूत्र - 2.59 > इन्द्रियोंको हठात बिषयोंसे दूर रखनेंसे क्या होगा , मन तो बिषयोंका मनन करता ही रहेगा ।
5- गीता सूत्र -2.58 > इन्द्रियाँ ऐसे नियंत्रित होनी चाहिए जैसे कछुआ अपनें अंगो पर नियंत्रण रखता
है ।
6- गीता सूत्र -3.34 > सभीं बिषय राग -द्वेष की उर्जा रखते हैं ।
7- गीता सूत्र -3.7 > इन्द्रिय नियोजन मन से होना चाहिए ।
8- गीता सूत्र - 2.15+2.68 > इन्द्रिय नियोजनसे स्थिर प्रज्ञता मिलती है जो मोक्ष का द्वार है ।
9- गीता सूत्र - 2.55 > कामनारहित मन आत्मा केन्द्रित करता है ।
°° गीताके 10 श्लोक ध्यानके 09 सीढियोंको दिखा रहे हैं , गीता ध्यानकी यात्रा आपकी अपनी यात्रा है और कर्म - ज्ञान योगकी साधनाके ये मूल सूत्र हैं । आप इन सूत्रोंको अपना कर ध्यान में डूब सकते हैं । ~~~ ॐ~~~
Wednesday, September 4, 2013
गीताके मोती ( भाग - 01 )
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