गीता श्लोक - 3.22 , 11.20 , 15.17
* गीताके ऊपर दिए गए तीन श्लोकोंमें तीन लोकोंके होनेंकी बात कही गयी है ,ये तीन लोक कौन - कौन से हैं ?
> पहले इन तीन श्लोकोंको देखते हैं ।
* श्लोक - 3.22 > कृष्ण कहते हैं ,तीन लोकों में मेरा कोई कर्तव्य नहीं है और कोई अप्राप्य वस्तु नहीं है फिर भी मैं कर्म करता हूँ ।
* श्लोक - 11.20 > अर्जुन कह रहे हैं - स्वर्ग और पृथ्वीके बीचका आकाश आपके इस अद्भुत उग्र रूपसे भरा हुआ है और तीन लोकों के लोग आपके इस रूपकों देख कर दुखी हो रहे हैं ।
* श्लोक -15.17 > परमात्मा ,अब्यय और ईश्वर जिसे कहते हैं वह परम पुरुष है , जो तीन लोकों में प्रवेश करके सबको धारण किये हुए है तथा सबका पोषण करता है ।
# अब सोच उठती है कि ये तीन लोक कहाँ
हैं ?
* इस प्रश्नके लिए देखते हैं भागवत - 5.21 जहां बताया गया है कि भू-लोक और ऊपर द्युलोक के मध्य है अंतरिक्ष लोक जिसका केंद्र है सूर्य और जहाँ अन्य सभीं ग्रह एवं नक्षत्र भी हैं । सूर्य तीनों लोकोंमें प्रकाश देता है ।
<> अब आप समझ सकते हैं कि गीता और भागवतकी cosmology क्या बता रही
है ?
* भू लोक , अंतरिक्ष लोक और द्यु लोक तीन लोकों में सारा ब्रह्माण्ड है जो सीमा रहित सनातन , गतिमान और मायामय तीन गुणों की उर्जा से परिपूर्ण है ।
~~~ ॐ ~~~
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