Monday, November 4, 2013

गीता मोती - 07

● गीता सूत्र - 17.2 ●
गुणोंके आधार पर श्रद्धा तीन प्रकार की होती है और श्रद्धा - स्वभागका गहरा सम्बन्ध है । इस सूत्रके साथ दो और गीता - सूत्रोंको देखिये :----
1- सूत्र 3.27 > गुण कर्म कर्ता हैं , कर्ता भाव अहंकारकी उपज है ।
2- सूत्र 18.60 > स्वभावसे कर्म होता है । अब सूत्र - 17.2 , 3.27 और 18.60 जो एक साथ देखो और इनको देखनें से जो भाव उठता है वह इस प्रकार होता है :---
" मनुष्यके अन्दर तीन गुण सदैव होते हैं जो बदलते रहते हैं और इन तीन गुणोंके प्रभावसे स्वभाव बनता
है , स्वभावसे श्रद्धा बनती है और श्रद्धाके जीवनका मार्ग बनता है ।"
Gita says :
" Three natural modes which always exist in all of us , form our nature and nature controls our actions . " Read Gita and use its energy in your day to day working .
~~~ ॐ ~~~

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