● गीता मोती - 8 ●
1- नाना प्रकारके भाव मुझसे हैं पर उन भावों में मैं नहीं ।
गीता - 7.12+10.4+10.5
2- भावोंसे संसार मोहित है और मोहितकी पीठ मेरी तरफ होती है ।
गीता - 7.13
3- सम्पूर्ण ब्रह्माण्डमें ऐसी कोई जगह और वस्तु नहीं जिस पर गुणोंका प्रभाव न हो ।
गीता - 18.40
4- तीन गुणोंका सर्वत्र ब्याप्त सनातन माध्यम का नाम है माया और माया प्रभावित ब्यक्ति असुर स्वभावका होता है ।
गीता - 7.15
5- माया अप्रभावित ब्यक्ति संसारसे मुक्ति प्राप्त करता है ।
गीता - 7.14
~~ ॐ ~~
Thursday, November 14, 2013
गीता मोती - 8
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment