<> अध्याय - 1 में कुल 47 श्लोक हैं जिनमें प्रारम्भिक श्लोक धृतराष्ट्र जी का है , प्रभु इस अध्याय में चुप रहते हैं और 23-23 श्लोक अर्जुन एवं संजय के हैं ।
** इस अध्याय में बुद्धि - योग आधारित ध्यानके चार बिषय
हैं ।
1- श्लोक : 1.1- धृतराष्ट्र जी का एक मात्र श्लोक ।
2- श्लोक : 1.23-1.24 - अर्जुनके रथ को दोनों सेनाओंके मध्य भीष्म एवं द्रोणाचार्य के सामनें
लेजाना ।
3- अर्जुन के श्लोक : 1.28- 1.31तक - जिनका सम्बन्ध मोहके लक्षणों से है ।
4- प्रभु का चुप रहना - एक अन्दर - बाहर से चुप ब्यक्ति ही सत को देखता है ।
# इस अध्याह की आगे की चर्चा अगले अंक में देख सकते हैं।
~~ ॐ ~~
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