लोग पूछते हैं , आपको अकेले रहते भय नहीं लगता ? मैं उत्तर देता हूँ कि अकेले रहते तो नहीं डरता लेकिन भीड़ में रहने से डरता हूँ।
ऐसा क्यों ? क्योंकि भीड़ मुझे , मुझसे छीन लेती है और मैं अपनें को खोना नहीं चाहता । संसार तो जैसा है , वैसा ही आगे भी चलता रहेगा केवल मेरी जैसी मूर्तियाँ बदलती रहेगा ।
संसार की मूर्तियों के बदलाव की गणित में अगर आप की रुचि हो तो समझिए , गीता आपको बुला रहा है ।
गीता की यात्रा का आज दूसरा दिन है । इस यात्रांश में हम गीता अध्याय : 1 के सार को निम्न स्लाइड के माध्यम से देख सकते हैं।
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