Saturday, March 27, 2021

गीता का स्थिरप्रज्ञ कौन है ?

 श्रीमद्भगवद्गीत अध्याय : 2 श्लोक 54 - 72 तक , स्थिरप्रज्ञ योगी की पहचान से सम्बंधित हैं। प्रभु श्री कृष्ण के लिए महाभारत युद्ध एक प्रयोगशाला जैसा है । युद्ध को एक सुअवसर के रूप में प्रभु श्री देख रहे है । महाभारत युद्ध के माध्यम से भोग से योग में और योग में अपरा वैराग्य तथा अपरा वैराग्य से परा वैराग्य की अनुभूति , अर्जुन जैसे लोगों को कराना चाहते हैं जिससे उन लोगों को परम सत्य का प्रकाश दिख सके । आइये इस दिशा में पहले कदम को देखते है , जो स्थिर प्रज्ञता के रूप में है 👇



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