श्रीमद्भगवद्गीत गीता अध्याय : 2 में 72 श्लोक हैं।
आज मनुष्य अपनें को इतना व्यस्त रख रहा है कि उसे सांस लेने के लिए भी वक़्त नहीं मिलता फिर गीता पढ़ने के लिए वक़्त निकलना तो की बात है ।
गीता हर हिन्दू परिवार के घर में होता है लेकिन लोग उसे तब पढ़ते हैं जब कोई आखिरी सांस भर रहा होता है , उस ब्यक्ति को सुनाने के लिए , इस आशय से कि गीता सुनने से उसे परमधाम मिल सकता है ।
गीता अध्याय : 2 के 72 श्लोकों का सार तत्त्व यहाँ एक स्लाइड में दिया जा रहा है जिसे पढ़ने में 2 मिनट से ज्यादा नहीं लग सकता ।
गीयह प्रयाश केवल उनके लिए किया जा रहा है जो समयाभाव के कारण ओणें से दूर होते जा रहे हैं , वस्तुतः गुट से दूर होना , स्वतः से दूर होना ही है ।
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