गीता अध्याय - 2 में स्थिर प्रज्ञ की पहचान बता रहे हैं , प्रभु श्री । इस कड़ी का शेष भाग आप यहाँ देख सकते हैं । ध्यान रहे कि मन - बुद्धि से परे की अनुभूति केवल स्थिर प्रज्ञ को होती है क्योंकि उसका चित्त पारिजात मणि जैसा पारदर्शी , शांत और निर्मल होता है 👇
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment