कृष्ण की बासुरी तो आज भी बज रही है लेकिन सुननेंवाला कौन है?
जो कोशिश किया वह सूना ही नही उस धुन से निकल न पाया।
कृष्ण की बासुरी सुनी राधा और पंद्रहवी शताब्दी में मीरा और दोनों उसके बाहर निकल न पायी।
जैसे बासुरी बजाना सिखाना पड़ता है वैसे बासुरी सुननें की भी कला सीखनीपड़ती है।
साकार कृष्ण अपने बासुरीके माध्यम से असीमित ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाओं की संबेदनाओं से संपर्क स्थापित करते थे , बासुरी की धुन पूरे ब्रह्माण्ड में संचार - माध्यम का काम करती थी।
कृष्ण की बासुरी को आप सुन सकते हैं , उसे सुननें की लिए कुछ माध्यम उपलब्ध हैं जैसे-----
१- कोई संगीत के माध्यम से पकडनें की कोशीश करता है।
२- कोई-कोई नृत्य को अपना कर इस धुन को पकड़ना चाहता है ।
३- कोई-कोई गायत्री जाप के माध्यम से पकडनें की कोशिश करता है।
४- कुछ लोग वेद मंत्रो में छिपे ॐ का सहारा लेते हैं ।
५- और ध्यान जिनका माध्यम है उनको ध्यान की शून्यता में यह धुन सुनाई पड़ती है।
बीसवी शताब्दी के मध्य में Arrr-eee-oomm मन्त्र के माध्यम से एडगर कायसी हजारो ला इलाज लोगों को इस मन्त्र के माध्यम से ठीक किया था क्या यह मन्त्र हरी ॐ नही है? कायसी को अनजानें में कृष्ण के बासुरी की धुन हरी ॐ के रूप में मिली।
569-475 BCE - Pythagorus का कहना था की सभी ग्रहों की अपनी - अपनी धुनें होती हैं जबकि उस समय तक ब्रह्माण्ड के बारे में कुछ भी पता न था , आज 21 वीं शताब्दी में आकर वैज्ञानिक पृथ्वी की धुन को मापनें में कामयाब हो पायें हैं --क्या पैथागोरस को ग्रहों में गूंजती कृष्ण के बासुरी की धुन नही सुनाई पडी ?
संत जोसफ जब यह बोले की सृष्टि की रचना का आधार शब्द है तो क्या उनको अनजानें में कृष्ण के बासुरी की धुन नही सुनाई पडी?
दिन में विचार जगनें नही देते और रात में इन विचारों के स्वप्न सोने नही देते फ़िर ऐसे में कृष्ण के बासुरी की धुन कैसे सुनाई पड़ सकती है?
कृष्ण के बासुरी की गूंजती धुन तब सुनी जा सकती है जब इन्द्रीओं से बुद्धि तक बहनें वाली ऊर्जा विकार रहित हो जाती है , मन शांत होजाता है और बुद्धि धुन को पकडनें पर स्थिर हो जाती है --------
क्या आप इसके लिए तैयार होना चाहते हैं ? यदि हाँ तो उठाइये गीता , इससे प्यारा और कोई माध्यम नही है।
सोच आप को आगे बढ़नें नही देगी , इस काम के लियेआप को गीता मय होना पडेगा ।
======ॐ=======
Sunday, July 5, 2009
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