Friday, July 17, 2009

गीता सार

गीता में कुल 700 श्लोक हैं , 556 श्लोक श्रीकृष्ण के हैं जिनमें से 101 श्लोक परमात्मा को ब्यक्त करते हैं और 23 श्लोक आत्मा से सम्बंधित हैं। अर्जुन अपनें 101 श्लोको के माध्यम से 16 प्रश्न करते हैं और अपनी सोच स्पष्ट करते हैं। संजय जिनके कारण गीता आज हमलोगों को उपलब्ध है, अपनें विचार 40 श्लोकों के माध्यम से ब्यक्त किया हैतथा धृत राष्ट्र जी का मात्र एक श्लोक है।
साधना की दृष्टि से श्री कृष्ण सांख्य-योगी हैं, अर्जुन हमलोगों की तरह एक भोगी ब्यक्ति की भूमिका निभा रहे हैं,धृत राष्ट्र जी एक परम श्रोता हैं और संजयजी परा भक्त हैं जिनको साकार कृष्ण में निराकार कृष्ण दिखते रहते हैं।
यदि आप गीता के आधार पर सांख्य योग की साधना में उतरना चाहते हैं तो आप को गीता के कृष्ण पर अपनी पूरी ऊर्जा केंद्रित करनी पड़ेगी, यदि आप भोग से समाधि तक की यात्रा पर चलना चाहते हैं तो आप को गीता के अर्जुन पर ध्यान करना पडेगा, यदि आप को श्रोतापन की हवा खानी हैं तो आप अपनें ध्यान का केन्द्र धृत राष्ट्र को बनाएं और यदि परा-भक्ति का आनंद उठाना चाहते हैं तो आप को संजय को अपनाना पडेगा।
बुद्ध एवं महाबीर के समय अबसे 2500 वर्ष पूर्व श्रोता अधिक थे लेकिन वर्तमान में न के बराबर हैं क्योंकि यह युग उन लोगों का है जिनकी बुद्धि संदेह से भरी है। आज का युग विज्ञानं का
युग है और संदेह विज्ञानं की बुनियाद है। जितना गहरा संदेह होगा उतना गहरा विज्ञान निकलेगा। संदेह से विज्ञान निकलता है और श्रद्घा से परमात्मा की खुशबू मिलती है।
गीता सांख्य योग की गणित है , परा-भक्ति का द्वार है और भोग से भगवान तक का मार्ग है अतः आप गीता के श्लोकों को याद करके अपनें अंहकार को और पैना न करें , गीता के श्लोकों को एकत्रित करके ध्यान बिधि बनाएं और उस मार्ग पर चलें तब गीता आपकी उंगली पकड़ कर उस पार तक की यात्रा करा सकता है।
गीता कहता है मैं घर नहीं हूँ जिमें तुम बसना चाहते हो , मैं तो नाव हूँ जो हर पल तुमको उस पार ले जानें को तैयार है , तुम आवो तो सही।
गीता का मूल मन्त्र है समत्व-योग अर्थात आसक्ति रहित कर्म का होना। आसक्ति रहित कर्म बैराग्य में पहुंचाता है तथा वह भाव पैदा करता है जिसमें कर्म अकर्म दिखता है और अकर्म कर्म दिखता है । गीता राग से वैराग ,बैराग में ज्ञान तथा ज्ञान के माध्यम से आत्मा-परमात्मा का बोध कराता है ।
========ॐ========

1 comment:

  1. i m very grateful to uu,, ight now i m in a very difficult condition and shree geeta shows me the path of light ,, thanks you..

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