Saturday, September 17, 2011

ध्यान सावधानियाँ भाग दो

गीता अध्याय –06

ध्यान में सावधानियां- 02

गीता सूत्र –6.13 – 6.14

यहाँ गीता के दो सूत्र कह रहे हैं ------

ध्यान या योगाभ्यास करते समय … ........

[]पवित्र,समतल एवं शांत जगह होनी चाहिए जहां ध्यान – योग करना हो/

[]किसी सामान्य मुद्रा में बैठें जिसमें कुछ देर बैठना संभव हो सके/

[]सर,गर्दन,धड सीधे पृथ्वी पर लम्बवत होनें चाहिए/

[]शरीर के किसी भी भाग में तनाव नहीं होना चाहिए/

[ ] प्राण वायु एवं अपान वायु सम रहनी चाहिए /

[ ] इन्द्रियों एवं मन में जो घट रहा हो उसका द्रष्टा बनें रहें /

[]मन में उठ रहे विचारों को शब्द रहित रहनें दें/

[]ध्यान अभ्यास में पहले तन का ध्यान होना चाहिए/

[ झ – क ] तन ध्यान में तन को देखते रहें और जहां कुछ हो रहा हो उसे होनें दें उसके लिए कुछ करें नहीं /

[ - ] तन सामान्य स्थति में रहना चाहिए , तन में कोई तनाव नहीं होना चाहिए /


ऊपर की बातों में दो बातें मूल बातें हैं------

  • प्राण वायु एवं अपान वायु का सम रहना

  • मन में उठते विचारों को शब्द रहित रहनें देना

    अगले अंक में हम इन दो बातों को देखेंगे


============ओम==============




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