गीता अध्याय –06
ध्यान में सावधानियां- 02
गीता सूत्र –6.13 – 6.14
यहाँ गीता के दो सूत्र कह रहे हैं ------
ध्यान या योगाभ्यास करते समय … ........
[क]पवित्र,समतल एवं शांत जगह होनी चाहिए जहां ध्यान – योग करना हो/
[ख]किसी सामान्य मुद्रा में बैठें जिसमें कुछ देर बैठना संभव हो सके/
[ग]सर,गर्दन,धड सीधे पृथ्वी पर लम्बवत होनें चाहिए/
[घ]शरीर के किसी भी भाग में तनाव नहीं होना चाहिए/
[ च ] प्राण वायु एवं अपान वायु सम रहनी चाहिए /
[ छ ] इन्द्रियों एवं मन में जो घट रहा हो उसका द्रष्टा बनें रहें /
[ज]मन में उठ रहे विचारों को शब्द रहित रहनें दें/
[झ]ध्यान अभ्यास में पहले तन का ध्यान होना चाहिए/
[ झ – क ] तन ध्यान में तन को देखते रहें और जहां कुछ हो रहा हो उसे होनें दें उसके लिए कुछ करें नहीं /
[ झ - ख ] तन सामान्य स्थति में रहना चाहिए , तन में कोई तनाव नहीं होना चाहिए /
ऊपर की बातों में दो बातें मूल बातें हैं------
प्राण वायु एवं अपान वायु का सम रहना
मन में उठते विचारों को शब्द रहित रहनें देना
अगले अंक में हम इन दो बातों को देखेंगे
============ओम==============
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