Thursday, May 3, 2012

गीता में अर्जुन का तीसरा प्रश्न

गीता श्लोक –3.36

अथ केन प्रयुक्तः अयम् पापं चरति पूरुषः/

अनिच्छन् अपि वार्ष्णेय बलात् इव नियोजितः//

हे कृष्ण ! फिर यह मनुष्य न चाहते हुए भी बलात् लगाए हुए की भांति किससे प्रेरित हो कर पाप का आचरण करता है ?

अर्थात

मनुष्य पाप कर्म करनें के लिए क्यों बाध्य है?

Why does a man commit sins ?

प्रश्न का उत्तर

प्रश्न के उतर के रूप में मात्र एक सूत्र [ सूत्र – 3.37 ] स्वयं में पूर्ण है लेकिन गीता में अर्जुन का अगला प्रश्न श्लोक – 4.4 से बनता है अतः श्लोक – 3.36 से श्लोक – 4.4 तक [ 11 श्लोक ] र्जुन के इस प्रश्न के सन्दर्भ में देखे जानें चाहिए / अब देखिये प्रभु का उत्तर जो इस प्रकार से है -------

श्लोक –3.36

काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः/

महाशनो महापाप्मा विद्धि एनम् इह वैरिणम्//

अर्थात

काम का रूपांतरण क्रोध है,काम राजस गुण का मूल तत्त्व है

काम भोग करनें से तृप्त नहीं होता और यह पाप करनें की ऊर्जा पैदा करता है/

Passion a natural mode generates sex energy , sex energy pulls into sins if one is not aware of it .

कुरुक्षेत्र में दोनों सेनाओं के मध्य जहाँ संभवतः मानव इतिहास का सबसे गंभीर युद्ध के बादल सघन हो रहे हैं , वहाँ ऎसी स्थिति में भगवान श्री कृष्ण जो एक सांख्य – योगी भी हैं , अर्जुन को बता रहे हैं कि हे अर्जुन ! मनुष्य पाप कर्म में काम ऊर्जा के सम्मोहन के कारण से उतरता है /

राजस गुण भोग की ऊर्जा का परम रसायन है जो आसक्ति , काम , कामना , क्रोध एवं लोभ की ऊर्जा समय के अनुकूल पैदा करता रहता है / नुष्य काम ऊर्जा से पैदा होता है , काम की तृप्ति उसके जीवन का केंद्र बन जाती है और जब वह मरता है तब उसका प्राण या तो मल इंद्रिय से या मूत्र इंद्रिय से निकलता है / मरे हुए ब्यक्ति का आप कभीं निरिक्षण करना और उसकी पांच ज्ञान इंद्रियों को और पांच कर्म इंद्रियों को देखना , वह इंद्रिय जो असमान्य स्थिति में हो समझना उसका प्राण उस इंद्रिय से निकला है / वह जो योगी है ; जो प्रभु में अपना बसेरा बना चुका होता है उसका प्राण या तो आज्ञाचक्र से निकलता है या फिर सहस्त्रार चक्र से जो क्रमशः मस्तक के मध्य भाग में एवं सिर में उस स्थान पर होता है जहाँ लोग चोटी रखते हैं / योगी के मृत देह को यदि कुछ दिन योंही रखा जाए तो उस से बदबू नहीं आती और भगी की लाश से पांच घंटे बाद बदबू आनें लगती है /

====ओम्========


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