Sunday, May 27, 2012

गीता में अर्जुन का आठवां प्रश्न भाग एक

पिछले अंक में गीता श्लोक – 8.1 एवं 8.2 में हमनें देखा कि अर्जुन एक साथ आठ प्रश्न कर रहे थे और उन प्रश्नों में पहला प्रश्न था ---------

किम् तत् ब्रह्म?अर्थात क्या है,वह ब्रह्म? [ What is that Brahm ? ]

आदि शंकर [ आदि शंकराचार्य – 788 CE – 820 CE ] अपनें अल्प कालीन भौतिक जीवन में अद्वैत्य के नाम पर ब्रह्म की स्मृति उस समय के मूल सांख्य – योग , मिमांस , जैन एवं बुद्ध परम्परा के लोगों के ह्रदय में जगाते रहे / जैसे जैसे उनका यह प्रयाश चक्रवात की भांति फैलनें लगा और जिन लोगों की आस्ता सांख्य , न्याय , मिमांस , जैन एवं बुद्ध परम्पराओं में थी वे लोग आदि शंकर के पीछे - पीछे चलनें लगे उनके भौतिक जीवन का अंत आगया और उनके प्रयाश की कमर यहीं टूट गयी / आज जो दसनामी सम्प्रदाय चल रहा है वह आदि शंकर की ही देन है / आदि शंकर के जानें के बाद भारत में धीरे - धीरे निराकार ब्रह्म की सोच समाप्त होनें लगी और एक तरफ भारत गुलाम होनें लगा और दूसरी तरफ यहाँ के लोग भक्ति आंदोलन में नाच - नाच कर अपनी गुलामी को देखते रहे / बुद्ध – महावीर एवं सांख्य दर्शन ठीक वैसे थे उन दिनों जैसे यूनान का दर्शन था , जिससे आज का विज्ञान विकसित हुआ है लेकिन भारत न बुद्धि योग में आगे बढ़ कर विज्ञान की मजबूत नीव रख सका और न ही पूर्ण रूप से भक्ति का आनंद ले सका , कहते हैं न – जाति रहे हरि भजन को ओटन लगे कपास , कुछ – कुछ ऎसी स्थिति यहाँ की हो गयी / कल हम लोग भौतिक स्तर पर पश्चिम के गुलाम थे और आज बुद्धि स्तर पर उनकी गुलामी ढो रहे हैं /

गीता में ब्रह्म से समन्धित निम्न श्लोक हैं जिनको आप स्वयं देखे … .....

गीता श्लोक –8.3 , 13.3 , 13.12 , 13.13 , 13.14 , 13.15 , 13.16 , 13.17

ये श्लोक कहते हैं----------

ब्रह्म , प्रकृति एवं पुरुष [ भगवान श्री कृष्ण ] तीन के योग का फल है यह जीव जहाँ ब्रह्म एवं प्रकृति अलग अलग नहीं हैं प्रभु श्री कृष्ण के अधीन हैं और उनसे ही हैं / ब्रह्म और प्रभु श्री कृष्ण को कुछ इस प्रकार से समझा जा सकता है ----- प्रभु श्री कृष्ण जिनको अनेक साकार रूपों में हम जानते हैं उनका निराकार आयाम ही ब्रह्म है / ब्रह्म से ब्रह्म में उनकी माया है , माया तीन गुणों से है जिसमें साकार रूप से नित पल बदलाव से गुजर रही प्रकृति को हम देख रहे हैं और यह प्रकृति ही भौतिक रूप से साकारों की जननी के रूप में दिखती है /

अगले अंक में इस प्रश्न का अगला भाग देखा जाएगा


====== ओम्=======


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