Thursday, November 18, 2021

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय - 01 सार

 


01

👌आज से हम श्रीमद्भगवद्गीताकी यात्रा प्रारंभ कर रहे हैं । 

इस यात्रामें पहले इसे देखते हैं 👇

●महाभारतके 6 वें पर्व भीष्म - पर्व के अंतर्गत अध्याय - 25 से अध्याय - 42 के रूपमें श्रीमद्भगवद्गीता है ।

◆ महाभारतकी गणना वेदों , उपनिषदों और पुराणों में नहीं की जाती पर  श्रीमद्भगवद्गीताको आदि शंकराचार्य जी गीतोपनिषद् की संज्ञा दिए हैं ।

महाभारत में  18 पर्व  हैं ।

● गीतामें   18 अध्याय हैं ।

◆ महाभारत युद्ध  18 दिन चला था ।

● युद्ध में 18 अक्षौहिणी सेनाएं भाग ली थी ।

एक अक्षौहिणी में 21870 ( 2 + 1 + 8 +7  + 0 = 18 ) रथ ,इतने ही हाँथी , 65,610 ( 6 + 5 + 6 + 1 + 0 = 18 ) घुड़सवार  और 1, 09, 350 ( 1 + 0 + 9 + 5 + 0 = 18 ) पैदल सैनिक होते थे ।

★ रथ , हांथी , घुड़सवार और पैदल सैनिकों की संख्यायों में 1:1:3:5 का अनुपात था ।  महाभारत युद्ध में 18 अंक का गहरा राज है ।

18 अर्थात 1 + 8 = 9 अर्थात 9 ग्रह । 

ऊपर व्यक्त महाभारत की इस गणित पर चिंतन करना चाहिए । 


02

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय : 01 

श्लोकों की संख्या ⬇️

पात्र 

श्लोक 👇

योग

धृतराष्ट

1

01

सज्जय

2 - 20 + 24 - 27 + 47

24

अर्जुन

21 - 23 + 28 - 46

22

कृष्ण

00

00

योग

--

47


1- इस अध्याय में प्रभु श्रोता है और अर्जुन वक्ता ।

2 - मोहके 06 लक्षण ( श्लोक : 1.28 - 1.30 में ) 

 निम्न प्रकार से बताये  गए हैं 👇

1 - अंगोंका शिथिल होना ।

2 - मुख का सूखना ।

3 -  शरीरमें कंपन होना ।

4 - रोमांच होना ।

5 - त्वचामें जलन होना 

6 - मनका भ्रमित होना ।

👉 ध्यान रहे कि मोह , भय . निद्रा और आलस्य तामस गुण के तत्त्व हैं ।

 (यहाँ देखे गीता अध्याय : 14 श्लोक : 8 + 13 )

~~◆◆ ॐ ◆◆~~

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