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👌आज से हम श्रीमद्भगवद्गीताकी यात्रा प्रारंभ कर रहे हैं ।
इस यात्रामें पहले इसे देखते हैं 👇
●महाभारतके 6 वें पर्व भीष्म - पर्व के अंतर्गत अध्याय - 25 से अध्याय - 42 के रूपमें श्रीमद्भगवद्गीता है ।
◆ महाभारतकी गणना वेदों , उपनिषदों और पुराणों में नहीं की जाती पर श्रीमद्भगवद्गीताको आदि शंकराचार्य जी गीतोपनिषद् की संज्ञा दिए हैं ।
● महाभारत में 18 पर्व हैं ।
● गीतामें 18 अध्याय हैं ।
◆ महाभारत युद्ध 18 दिन चला था ।
● युद्ध में 18 अक्षौहिणी सेनाएं भाग ली थी ।
● एक अक्षौहिणी में 21870 ( 2 + 1 + 8 +7 + 0 = 18 ) रथ ,इतने ही हाँथी , 65,610 ( 6 + 5 + 6 + 1 + 0 = 18 ) घुड़सवार और 1, 09, 350 ( 1 + 0 + 9 + 5 + 0 = 18 ) पैदल सैनिक होते थे ।
★ रथ , हांथी , घुड़सवार और पैदल सैनिकों की संख्यायों में 1:1:3:5 का अनुपात था । महाभारत युद्ध में 18 अंक का गहरा राज है ।
18 अर्थात 1 + 8 = 9 अर्थात 9 ग्रह ।
ऊपर व्यक्त महाभारत की इस गणित पर चिंतन करना चाहिए ।
02
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय : 01
श्लोकों की संख्या ⬇️
1- इस अध्याय में प्रभु श्रोता है और अर्जुन वक्ता ।
2 - मोहके 06 लक्षण ( श्लोक : 1.28 - 1.30 में )
निम्न प्रकार से बताये गए हैं 👇
1 - अंगोंका शिथिल होना ।
2 - मुख का सूखना ।
3 - शरीरमें कंपन होना ।
4 - रोमांच होना ।
5 - त्वचामें जलन होना
6 - मनका भ्रमित होना ।
👉 ध्यान रहे कि मोह , भय . निद्रा और आलस्य तामस गुण के तत्त्व हैं ।
(यहाँ देखे गीता अध्याय : 14 श्लोक : 8 + 13 )
~~◆◆ ॐ ◆◆~~
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