Tuesday, April 5, 2011

काम और अज्ञान



अध्याय –03


काम का असर


गीता सूत्र – 3.38


धूमेन आव्रियते वह्नि:यथा

आदर्श:मलेन च

यथा उल्बेन् आबृत:गर्भ:

तथा तेन इदंम् आवृतम्||


यहाँ प्रभु कह रहे हैं … ....

जैसे धुएं से अग्नि, जेर से गर्भ एवं धूल से दर्पण ढका रहता है ठीक उसी तरह से काम के प्रभाव में

बुद्धि में स्थित ज्ञान अज्ञान से ढक जाता है|


As fire is covered by smoke , embryo by the amnion and mirror by the dust so is knowledge

covered by the ignorance under the influence of sex – desire .


गीता वह कहता है , जो ह्रदय को छूता है जिसको समझनें के बाद फिर कोई प्रश्न नहीं उठता |

गीता के एक – एक सूत्र को आप अपनाएं और अपनें ह्रदय में बैठाएं |



======ओम==============


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