Wednesday, April 20, 2011

काम योग का प्रारम्भ


गीता अध्याय –04


भाग –02


पिछले अंक में बताया गया कि इस अध्याय के सूत्रों को चार भागों में देखा जाएगा |

आज हम यहाँ भाग – 02 के अंतर्गत सामान्य सूत्रों में निम्न सूत्रों में से कुछ को देखनें

जा रहे हैं |


[]सामान्य सूत्र


4.1

4.2

4.3

4.4

4.5

4.6

4.7

4.8

4.9

4.12

7.16

9.25

17.4

14.18

....


सूत्र –4.1 , 4.2 , 4.3


इन तीन सूत्रों के माध्यम से प्रभु अर्जुन को बता रहे हैं-----------

काम – योग का ज्ञान सबसे पहले मैं सूर्य को दिया था , बाद में यह योग धीरे - धीरे लुप्त होनें

लगा और अब यह पूर्ण रूपेण लुप्त हो चूका है |

आज मैं इस योग को तुम को बता रहा हूँ क्योंकि तूं मेरे शिष्य एवं मित्र हो |


अर्जुन[गीता सूत्र –4.4 ]प्रभु से कहते हैं--------

हे प्रभु ! सूर्य का जन्म तो अति प्राचीन है , वे सृष्टि के के प्रारम्भ में जन्म लिए और आप

वर्तमान में हैं फिर आप काम – योग की शिक्षा सूर्य को कैसे दिए होंगे ?


यहाँ तक इस अध्याय में दो बातें देखनें को मिली ; …..........

* * सृष्टि और सूर्य का गहरा सम्बन्ध है

**आज जो हैं,वे सभीं हैं ही नहीं धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं अर्थात …....

आज जो ज्ञान है … ....

आज जो भूत हैं … ....

आज जो प्रकृति है … ..

आज जो कुछ भी है , वह सब धीरे - धीरे समाप्त हो रहा है ||


======ओम=========


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