Monday, May 9, 2011

गीता अध्याय –04

पिछले अंक मे हमनें देखा सूत्र –4 . 12और अब देखते हैं गीता के कुछ निम्न सूत्रों को

जो सूत्र –4 . 12और स्पष्ट करते हैं/


गीता सूत्र –7 . 16

प्रभु कहते हैं , हमसे जुस्नें वालों को चार श्रेणियों में देखा जा सकता है ;

>>आर्त

>>जिज्ञासु

>>अर्थार्थी

>>ज्ञानी

गीता सूत्र –9 . 25

प्रभु कहते हैं,देव पूजक मरणोपरांत देव लोक में पहुँचते हैं,पितर – पूजक पितरों के

पास पहुँचते हैं,भूत – प्रेत की पूजा करनें वाले भूत – प्रेतों में पहुँचते हैं और मेरे-पूजक

मेरे पास आ कर आवागमन से मुक्त हो जाते हैं/

गीता सूत्र –17 . 4

प्रभु इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं , सतो गुणी ब्यक्ति देव पूजन करते हैं ,

राजस गुणी लोग यक्ष – राक्षसों की पूजा करते है और तमो गुणी लोग भूत – प्रेतों

को पूजते हैं /

गीता सूत्र –14 . 18

यहाँ प्रभु कहते हैं , सतो गुणी स्वर्ग में पहुँचते हैं , राजस गुणी लोग पृथ्वी पर ही

जन्म प्राप्त करते हैं , मनुष्यों के रूप में और तामस गुणी लोग नर्क में पहुँचते हैं /

यहाँ इन सूत्रों के सन्दर्भ में गीता सूत्र – 8 . 5 , 8 . 6 को भी देखना चाहिए

जो कहते हैं …...

मनुष्य का जीवन जिस केंद्र के चारों तरफ रहा होता है मरणोपरांत वह ब्यक्ति वैसी योनि

प्राप्त करता है //

गीता उनके लिए है जो----

बुद्धि केंद्रित हैं , जो ह्रदय केंद्रित हैं और जो इन्द्रियों के गुलाम हैं अर्थात

योग , भक्ति एवं ध्यान में से किसी के साथ गीता की यात्रा संभव है //


===== ओम ======


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