Sunday, May 15, 2011

गीता अध्याय –04

[ ] योग – सूत्र

सूत्र –4.10के सम्बन्ध में …...

पिछले अंक में हमनें सूत्र – 4.10 को देखा था / इस सूत्र के माध्यम से

प्रभु अर्जुन को बता रहे हैं ------

राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति ज्ञानी होता है /

अब इस सूत्र के सम्बन्ध में गीता के निम्न

सूत्रों को भी देखते हैं ---------

[]गीता सूत्र –2.56

यह सूत्र कहता है … ...

राग,भय एव क्रोध रहित ब्यक्ति बुद्धि-योगी होता है/

[]गीता सूत्र –16.21

यहाँ प्रभु कह रहे हैं … ...

काम क्रोध एवं लोभ नर्क के द्वार हैं/

[]गीता सूत्र –5.23

यह सूत्र कहता है … ...

काम एवं क्रोध रहित ब्यक्ति सुखी ब्यक्ति होता है/

[]गीता सूत्र –6.27

इस सूत्र के माध्यम से प्रभु कह रहे हैं … ...

राजस गुण[आसक्ति,काम,कामना,क्रोध एवं लोभ]प्रभु से दूर रखता है/

गीता सूत्र 4.10 + 2.56 + 16.21 + 5.23 + 6.27 को एक साथ अपनीं बुद्धि में हर पल

रखें और कर्म को योग रूप में देखनें की कोशिश करते रहें //


====ओम======


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