गीता अध्याय –04
[ ख ] योग – सूत्र
सूत्र –4.10के सम्बन्ध में …...
पिछले अंक में हमनें सूत्र – 4.10 को देखा था / इस सूत्र के माध्यम से
प्रभु अर्जुन को बता रहे हैं ------
राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति ज्ञानी होता है /
अब इस सूत्र के सम्बन्ध में गीता के निम्न
सूत्रों को भी देखते हैं ---------
[क]गीता सूत्र –2.56
यह सूत्र कहता है … ...
राग,भय एव क्रोध रहित ब्यक्ति बुद्धि-योगी होता है/
[ख]गीता सूत्र –16.21
यहाँ प्रभु कह रहे हैं … ...
काम क्रोध एवं लोभ नर्क के द्वार हैं/
[ग]गीता सूत्र –5.23
यह सूत्र कहता है … ...
काम एवं क्रोध रहित ब्यक्ति सुखी ब्यक्ति होता है/
[घ]गीता सूत्र –6.27
इस सूत्र के माध्यम से प्रभु कह रहे हैं … ...
राजस गुण[आसक्ति,काम,कामना,क्रोध एवं लोभ]प्रभु से दूर रखता है/
गीता सूत्र 4.10 + 2.56 + 16.21 + 5.23 + 6.27 को एक साथ अपनीं बुद्धि में हर पल
रखें और कर्म को योग रूप में देखनें की कोशिश करते रहें //
====ओम======
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