Wednesday, July 27, 2011

गीता के एक सौ सोलह सूत्र अगला अंश

गीता के एक सौ सोलह सूत्रों का अगला अंश यहाँ आप देख सकते हैं -------

गीता सूत्र –14.19

तीन गुणों को करता देखनें वाला धृष्ट रूप में प्रभु में बसता है //

गीता सूत्र –14.22

तत्त्व वित्तु तीन गुणों की छाया से परे बसता है //

गीता सूत्र –14.25

कर्म में अकर्म एवं अकर्म में कर्म देखनें वाला संभव योगी गुणातीत होता है //

गीता सूत्र –5.24

वह जो अपनें अंदर परम आनंद एवं परम प्रकाश देखता है वह ब्रह्म निर्वाण में होता है //

गीता सूत्र –6.15

मन को ऐसा बना देना की उस पर प्रभु दिखानें लगे , उस मार ्ग का नाम है , ध्यान //

गीता सूत्र –3.27

करता भाव अहंकार की छाया है , गुण कर्म – करता हैं //

गीता एक ऐसा बिषय है जिसको सबनें अपनाया है चाहे वे भक्ति मार्गी हों या अद्वैत्य मार्गी . चाहे वे आदि शंकराचार्य हों या दर्शन शास्त्र के चिन्तक सर्वपल्ली राधाकृषनन , आखिर क्या है गीता में जो सब को अपनी ओर खीचता है ? आप इस प्रश्न के सम्बन्ध में सोचें //


=====ओम======


No comments:

Post a Comment

Followers