Saturday, April 7, 2012

गरुण पुराण अध्याय पञ्च का अन्ति भाग

विष्णु भगवान पाप कर्म करनें वालो के सम्बन्ध में कुछ और बातों को कुछ इस प्रकार से यहाँ बता रहे हैं ------------

  • छोटी बालिका के साथ ब्याभिचार करने वाला अजगर की योनि में पहुँचता है

  • गुरु की पत्नी के साथ सम्बन्ध स्थापित करनें वाला विषखोपडा बनता है

  • रानी और मित्र की पत्नी से जो सम्बन्ध रखता है वह गधे की योनि में पहुँचता है

  • गुदा द्वार से मैथुन करनें वाला सूअर बनता है

  • शुद्र नारी के साथ सम्बन्ध स्थापित करनें वाला बैल या घोड़ा बनता है

  • देवताओं के अंश का भोजन जो करता है वह मुर्गा बनता है

  • ब्रह्म हत्या करनें वाला गधा या ऊँट या भैंस बनता है

  • शराबी भेडिया कुत्ता या सियार बनता है

  • दूसरे की पत्नी को हडपने वाला , किसी की धरोहर को अपनानें वाला ब्रह्म राक्षस कहलाता है

  • बरहन के धन पर अधिकार जमानें वाले की सात पीढियां नश्र हो जाती हैं

  • बलात्कार एवं चोरी का धन मनुष्य का कुल चन्द्रमाँ एवं तारामंडल तक नाश होता है

  • ब्राह्मण के धन से तैयार की गयी सेना कभी सफलता नहीं प्राप्त करती

  • ब्राह्मण की वह जमीन जो डान में उसे मिली होती है उको हडपने वाला 60,000 सलों तक विष्ठा का कीड़ा बन कर रहता है

  • जो स्वयं दान दी गयी जमीन को पुनः अपनें कब्जे में लेता है वह महा प्रलय तक नरक में रहता है

  • ब्राह्मण की आजीविका को छीननें वाला बन्दर या कुत्ता बनता है

बुरे कर्म करनें वाले नरक की यातनाओं को भोग कर ऊपर बतायी गयी योनियों में जन्म लेते हैं और हजारों सालों तक यातनाओं को झेलते रहनें के बाद पुनः पक्षियों की योनियों में जन्म लेते हैं जहाँ वर्षा , जाड़ा , धुप आदि का दुःख भोग कर पुनः मनुष्य योनि उनको मिलती है / अंडज , स्वेदज , उद्भज और जरायुज ये चार प्रकार की योनियाँ हैं / मनुष्य अपनें कर्मों के आधार पर बिभिन्न योनियों से गुजरता है और बार – बार जन्म लेता है और मरता है , यह क्रम तबतक चलता रहता है जबतक मनुष्य योनि में वह कुछ ऐसा नही करता जो उसे परम गति प्रदान कराये / परम गति प्राप्त करने वाला दुबारा जन्म नहीं लेता /

गरुण पुराण अध्याय पांच का अंतिम भाग यहाँ समाप्त होता है


=====ओम्=========




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